पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/४८८

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४३० 'मान्द्रान इस समय खन्दनानिमें नरवलिको प्रथा प्रचलित थी। नित हुए। १८३६ ई०में कर्नल के नवाद अपने उच्छ अंगरेजोंने उसे यंद कर दिया। १८७६ में उत्तर- अल-शासनके दोपसे राज्यच्युत हुए। उनका राज्य 'सीमान्तयत्ती रामपा प्रदेशके अधिवासी अंगरेजोंके अंगरेजीराज्यमें मिला लिया गया। विरुद्ध खड़े हुए। अंगरेजोंकी गोलीसे उनमेंसे कितने .देशीय सामन्तराजाओंमें महिसुरराज सबसे बड़े यमपुरको सिधारे । . चढ़े है। १८३१ ई०में अंगरेजराजने महिसुरके शासन- ___ अंगरेज सौदागरोंने किस प्रकार धीरे धीरे मान्द्राज को वागडोर अपने हाथ ली थों। किन्तु १८८१ -१०में . प्रेसिडेन्मीफे वहुनसे स्थानों पर अधिकार किया था। घह जनपद पुनः देशीय हिन्दू राजाको लौटा दिया गया। नीचे उसका संक्षिप्त विवरण दिया जाता है।-१७६३ | विना अंगरेज कर्मचारीको सलाइके राजा शासनसम्म १०में इष्ट इण्डिया कम्पनीने अर्काटफे नवावसे मान्द्राज कीय कोई भी कार्य नहीं कर सकते हैं। निवाडोल और .. नगरफे चारों ओरका भूमाग प्राप्त किया। यह भूमाग कोचिनका हिन्दूराज्य अंगरेजोंकी देखरेखमें परिचालित अमी चेङ्गलपत् जिला या कम्पनीको जागीर नामसे मग- होता है। १८०८ ई०में उक्त राज्यके दोनों सामन्त हर है। १७६५ ई० में मुगल बादशाहने कम्पनीको गञ्जाम, विद्रोही हुए थे। विद्रोहदमनके बाद यहां और किसी विशाखपत्तन, गोदावरी और कृष्णा जिला (उस समय प्रकारका उपद्रय नहीं हुआ। पदुकोटांके तोण्डिमान सर. उत्तर-सरफार नामसे प्रसिद्ध था) दे दिया। किन्तु दारने दाक्षिणात्यके युद्ध में अहुरेजोंकी बड़ी सहायता की अंगरेजराजने अपनी राजशक्तिको अविचलित रखनेके । थी। तभोसे यह राज्य अंगरेजोंके साथ मित्रतांसूवमें लिये निजामको लास रुपये दे कर उनसे उक्त संपत्ति मावद्ध है। बङ्गनपल्ली और सन्दूर राज्य भी मंगरेजों की सनद लिखवा लो। गंगरेजोंने यद्यपि यहांसे फरा की देखरेखमें परिचालित होता है । जयपुर, विजयनगरम्, सियोंको मार भगाया था, फिर भी १८२३ ई०के पहले घे पारला, किमेदी, पिट्टपुर, घेरगिरि, रामनाथ और गिय. यहांका पूर्ण आधिपत्य लाभ म फर संके थे। १७६२ गङ्गा आदि स्वाधीन सामन्तराज्य तो नहीं हैं, पर प्रत्येक ६०में टीपू सुलतान यडामहल, मलवा, डिण्डिगल, को एक विस्तृत जमींदारी कहने में कोई मत्युक्ति नहीं। पलनी और कंगुण्डी तालुफ अंगरेजोंको समर्पण करनेके | इस प्रेसिडेन्सीमें गझाम, विशासपत्तन, गोदायरी लिपे पाध्य हुए। १७६E R०में टीपूफे मरने पर महि- कृष्णा, नेल्लूर, कष्टापा, कल, येल्लरी, मनन्तपुर, चेङ्गल. सुर राज्यके पुनर्गठनके समय कोयम्यतोर, नीलगिदि | पत, उत्तर और दक्षिण अर्कोट, तमोर विचिनपल्ली, सलेम और दक्षिण कनाड़ा जिलेका कुछ मन मंगरेजों- मदुरा, तिन्लेवल्ली, सालेम, कोपभ्यतोर, नीलगिरी, मल- फे हापं लगा। उसी साल तजोरराजने राज्यंशासन पार, दक्षिणकनाड़ा और मान्द्राज शदर मामक २२ जिला करना छोड़ दिया था, उनके चंशधर १८५५ ई० तफ नाम | लियांकुड़, कोचिन, यानपन्लो, पदुकोटा और सन्दूर मासको राजा रहे । १८०००में साहाय्यकारी सेना- नामक पांच सामन्त राज्य तथा गञ्जाम, विशाम्रपत्तन दलको रक्षाके लिये इंदरापादके निजामने अनन्तपुर, धीर गोदावरीका एजेन्सी विमाग है। कर्नल, पेहरी और कड़ापा जिला मंगरेजोको दिपे। प्रसिडेन्सीको जनसंख्या ४१४००००० है। इनमें दुसरे घर्ष उन्होंने नेल्लूरसे तिन्नेयली तक फरमण्डल | निम्बुरी घालण और क्षतियगण उप घेणोके हैं। उपफूलस्य कर्णाटक नयायके अधिन राज्यको अंगरेजोंः | अलावा इसके शेठी, मारवाही, आदि चैत्यगण मध्य के हाथ समर्पण किया। उस यंशके अन्तिम नपाय श्रेणी तथा चेलमा, येल्लाला, नापर, नदयर, देवर, १८५५ १० में परलोकयासी हुए। राज्यशासनमें उन्हें गुल्ला, नायक कोनकन, फुशायन, माला, होलिया, किसी प्रकारको क्षमता न थी, नाममालको ये नयाद थे। पलियार, माप्पिला, शयर तोड़ा, करचर, पार, लाति उस के प्रधान प्यकि 'नयाय आप मोट' उपाधिसे | आदि नाना शूद्र और अनार्य जातिका यास है। ये भूषित तथा मान्द्रास गयमेण्ट द्वारा मिशेररूपसे सम्मा- लोग साधारणतः तामिल, नेलगू, मलयालम, कनाड़ी,