पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/४९५

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मापिल्ला-माफी है। इनमें पीतल, तांये और चांदीके गहनोंका हो। ओलन्दाज यणिों के पक्ष्यी और १७यो शताब्दी. अधिकतर व्यवहार देखा जाता है। के विवरणमें लिखा है, कि पुर्तगीज नाविकों के साथ उत्तर-मलवारमें इन लोगोंके मध्य अरवी भाषा तथा वाणिज्य व्यापारमें वरावरी करने के लिये सामरिराजने मलवार में प्राचीन तामिल भाषा प्रचलित है। मंविषयमें , देशी लोगोंको इस्लामधर्ममें दीक्षित किया था। इनका उत्साह वद्वत प्रबल देखा जाता है। भूमिसंक्रान्त ! इस प्रकार मापिल्ला जाति धीरे धीरे. मलवार उपकूल में विवाद' ले कर जब कभी ये हिन्दुओं के साथ दंगा करते : फैल गई । इन्होंने कायिक परिश्रमसे देशका बहुत उपकार है; तवं विशेषतः हुरीको ही काममें लाते हैं। ' किया था। तहफत् मुजाहिदीन नामक १६वी सदोमें प्रकाशित , धर्मान्धतासे उन्मत हो इन्होंने १८४६ ई०में मारी. प्रन्धमें लिखा है, 'राजा चेरमान पेरुमलने इस्लामधर्म । के मन्दिरमें घेरा डाल फर ब्राह्मण पुरोहितको मार ग्रहण कर मकाकी यात्रा की। अरबके सफहाई नगरमें डाला। इनका दमन करनेके लिये मान्दाजसे पदातिक उनको मृत्यु हुई। मरनेसे पहले ये देशी सरदारोंको सेना भेजी गई थी। पीछे कनानूरसे ६४ नम्बर पल्- इसुलामधर्मको प्रष्टताका उल्लेख करते हुए कई एक रनने जा कर इन्हें परास्त किया था। ६४ मापिल्ले पत्र लिख गये । उस पनको ले कर मालिक इवन् दिनाई ! अदम्य उत्साहसे युद्ध करके अतुल विक्रम तथा रण मलयार-उपकूलमें पहुंचे । देशीय सरदारों ने उनका अच्छा । नैपुष्प दिखलाते हुए रणक्षेत्रमें खेत रहे । १८५१ ई०में सम्मान किया । सरदारोंकी सहायता उत्साहित , धर्मान्धतासे उन्मत्त हो उन्होंने फिरसे हिन्दुओंको हत्या मुसलमानोंने पहले पेरुमलको राजधानी कोइङ्गनूरमें। की। पीछे मान्दाजसे सेनाने आ कर उनका अच्छी तरह मसजिद बनवाई। इस प्रकार धीरे धीरे निवार के दमन किया। अनन्तर धीच वीचमें हिन्दुओं के साथ इन. अन्तर्गत कोलन नगरमें, डिल्लीपर्यंतमें, दक्षिण कनाड़ाके । का बहुत बार विप्लय खड़ा हुआ है। अन्तर्गत घरकुर और गङ्गल्लर नगरमें,जैफत्तन ( यर्तमान- माफ ( ० वि०) जो क्षमा कर दिया गया हो, क्षमित । नाम मुरुकुण्डपुरम्, इवन यंतुताने १३ सदीमें इस मस- माफकत ( म० स्त्री०) १ मुआफिक होनेका भाव, भनु- जिदका उलग्न किया है ) नगर में, तेल्लीचेरीके अन्तर्गत | कूलता। २ मेल, मैत्री। धर्मपत्तन नगरमें तथा पन्धारिणी और वेपुर रेल-टार्मि- माफजल खाँ (सैयद )-एक मुसलमान ऐतिहासिक । ये नसके समीप चालियम नगरमें बहुतसो मसजिद बनवाई १०ी शताब्दीमें विद्यमान थे। इनके यनाये "तारीख- गई। मसजिद बनवाने के साथ ही साथ इस देशमें इमाफजली" नामक इतिहासमें सृष्टिके प्रारम्मसे ईवी- मुसलमानी प्रभाव फैला था, इसमें सन्देह नहीं। उन सन् १६६६ तककी घटनावलि वर्णित है। किसी हस्त- सव मसजिदोंके खर्च यर्चके लिये सम्पत्ति भी दो लिखित पुस्तकमें फर्क सियरके राजत्यकाल तक लिपि- गई थी।' . वद्ध है। समूची पुस्तक सात भागों में विभक्त है। ६४ '.. 'विदेशीय वाणिज्यकी उन्नतिके लिये सामरिराजने और भागमें भारतवर्ष के बहुत से विवरण हैं। मुसलमानों के प्रति विशेष सौजन्यता दिखलाई थी। इस समय उपकूलवासी मुसलमानों और इस्लामधर्म में | माफल (हिं० पु० ) एक प्रकारका पट्टा नीबू । दिक्षीत देशी अधिवासियोंको संख्या बहुत बढ़ गई थी। माफिक (म० वि०) १ अनुकूल, अनुसार। २ योग्य, धोरे धीरे राज्य भरमें उनकी तूती घोलने लगी। इस ] लायक। समय वाणिज्य प्रयासी बहुतसे हिन्दुओने संमतपथसे | माफिकत ( स्त्री०) माफपत देखो। । पाणिज्य व्यवसायमें लाभ उठानेको आशासे हिन्दूशास्त्र- माफो (अ० स्रो०) १क्षमा। २ यह भूमि जिसका कर के कठोर नियोको परित्याग कर इस्लामधर्मका आधय सरफारसे मांफ हो, वाघ । ३ यह भूमि जो किसीको लिया था।.... :..." विना फरफे दी गई हो। Tol. III. 110