मालद्वीप (पलयद्रोप) इयन बतुता नामक एक अरव देशीय यात्री १३४० मिनेने मालद्वीपवासियोंके आचार-व्यवहारको ई०सन्में सबसे पहले मालद्वीपमें आया और वहांके पर्यालोचना कर लिखा है,-प्राचीन समयमें मालद्वीप- 'वजीरकी कन्यासे विवाह कर लिया। बाद उसके । वासो जो दानव पूजक था उसका स्पष्ट प्रमाण मिलता १६०२ ६०में पिराई (Psrard ) नामक एक फरासी है। कई जगह यौद्धधर्म के भी निदर्शन देखे गये नाविक जहाज डूब जानेके कारण मलद्वीप पहुंचा। हैं। उन्होंने केवल चार सौ वर्ष तक मुसलमान-धर्म द्वीपवासिनि उसे पांच वर्ष तक वन्दी कर रखा था। ग्रहण किया है। जिस मुसलमान प्रचारकने सबसे ___उसके पहले १५यों शताब्दीमें पुत्तेंगोज चणिोंने पहले यहां धर्म-प्रचार किया उसकी कन मालिद्वीपमें मालद्वीपका आविष्कार किया। कुछ दिन हुए लेफ टिनेण्ट याज भी विद्यमान है। यहांके अधिवासो भक्ति के साथ क्रिप्टोफर ( Licutenant Christopher R.N. ) जमोन इस स्थानको देखते हैं। मालद्वीपमें 'युदु' शब्दको नापनेके लिये मालद्वीप आये थे। उन्होंने एक वर्ष तक प्रतिमा और मन्दिरको 'चौदलाना' कहते हैं। शायद रह फर यहांका विवरण लिखा। उन्हीं के विवरणसे यहां-वह वौद्ध शब्दका अपभ्रश होगा । इस विषयमें एक के सभी तत्वोंका पता लगा है। ऐसा प्रवाद है, कि एक समुद्रयासी दैत्य माल. बहुत प्राचीनकालसे मालद्वीप सिंहलराज्यके शासना द्वोपवासिनी कुमारियोंके ऊपर घोर अत्याचार करता धान था। प्राक, अरवाय भार चानदशाय पय टकगण | और उन्हें हर फर ले जाया करता था। मानविन सभी मालद्वीपको सिंहलके शासनाधीन बतला गये हैं। अबुल वेराकात 'नामक एक, मुसलमान-प्रचारकने १७वीं शताव्दीके प्रारम्भमें पिराई के समय यहां जो भाषा कुरानको जादूगरी-शक्तिसे उस दैत्यको मन्त्रमुग्ध कर प्रचलित थी वही आज भी है। सिंहलो भाषा ही पहां- मार भगाया। की प्रचलित भाषा है । बौद्धधर्म के निदर्शन सर्वत्र ___मालद्वोपके रहनेवाले यदुत कुछ सत्यवादी हैं। ये देखे जाते हैं। इन-चतुताके वर्णनसे मालूम होता है, भारतवर्ष के बंगाल, चटगांव, मालयाके उपफूल तथा कि १३वी सदीके शुरूमें द्वोपवासिगण मुसलमान-धर्म: सिंहलके साथ याणिज्य करते हैं। ये 'नायें चलानेमें में दीक्षित हुए थे। वड़े निपुण होते हैं। मालद्वीपमें उक्त विद्या सीखने के १६वी शताब्दीके आरम्भमें पुर्तगोजोंने सामान्य वहुतसे विद्यालय हैं। यहाँके लोग अति निरीह तथा भावसे इस द्वीप पर आधिपत्य किया था। शान्त स्वभावके हैं। सभ्यजगत में जो दोष देखा जाता अलेकजन्डियावासी पापुस ( Papps ) नामक है यह यहां कुछ भी नहीं है। ये शराय नहीं पीते । उन- प्रसिद्ध पर्यटकने ४थी शताब्दीमें सिंहलभ्रमणके समय का तामडावर्ण तथा कद छोटा होता है। कहीं कहीं लिखा है, फि १३७० द्वीप सिंहलराज्यके अन्तर्गत थे। हवशी जातिका संस्रवदोष दिखाई देता है। स्त्रियां मुधी ५वीं शताब्दी में चीना यात्रो फा-हियान भी सिंहलके / नहीं, पर बड़ी डरपोक होती हैं। चारों ओरके यहुतों द्वीपोंका उल्लेख कर गये है। उन्होंने बहुतसे अर्णयपोत यहां इव गये हैं जिनमेंसे कुछ का कहा है, कि इन सभी द्रोपोंमें मुक्ता और हीरा यहुतायत. नाम तथा डूबनेका समय नीचे दिया जाता है। १८७७ से पाया जाता है। टलेमी तथा कोसमस (Cosmos ने ! ई०में लिफे ( Leffy. ), १८७६ ई. सन्में सिगल ( Sen. भी ठो शताब्दी में इन सव द्वोका उल्लेख किया है। gall) और १८८० ई०सन्में फनसेट (Consett) इत्यादि । सलिमन ( Sulliman ) धीं शताब्दीमें लिस गपे हैं, कि अभी अनेक कारणोसे वर्तमान सुलतागको ऐसी धारणा यह सय दीप यहांफी एफ सम्राशोके शासनाधीन था। हो गई है, कि इये हुए जहाजों पर जीवित नायिका. ११वीं शताम्दामें माल वराणी इन सय द्रोपोंका उल्लेख का स्वत्व नहीं था। इसीसे मुलतानको अनुमति के बिना करते समय कोड़ीके व्यवसायके सम्बन्धम बहुत-सी बातें किसीने जहाज निकालनेमें सहायता नहीं की थी। लिश गपे है। यहांके उत्पन्न द्रव्योंमें नारियल प्रधान है।
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