मालवीय-मालसो
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ने अपने यहां मालययासो ग्रामीको फचो और ' और भीमा प्रधान है। यहांका जलवायु उतनाम
पनी रसोई गनेको कहा, लेकिन धे लोग राजी नहीं नहीं है। यहांको अधिकांश भूमि कालो है। यहां वि
हुए | दम पर राजाने उन्हें दो पनवाले मकानमें यंद। प्रकारका मान उपजता है।
...
गा। रातको उन लोगोंने देखा, कि स्थानीय अधि- मालसी ( स० स्रो०) मल-स्यायें वरण, मलं -
यासी दाटे उत्साहके साथ उस कारावासरे, समीप ही नाशयति सो-उ-डोप। १ केरापुर पक्ष । २रानि
पार यायाको पूजा कर रहे हैं। यह देय कर ये लोग भी । विशेष । यह रागिणी मालवरागको पनी है।
भक्तिपूर्वक उम देवताकी उपासना करने लगे तथा "धानुषी मानगी रामकिरी च सिन्धुड़ा तथा ।
उन्हें इस यिपद से बचाने के लिये पार वार प्रार्थना करने : अश्ववारी भैरवी च मालवस्य प्रिया इमाः ॥" (हारत
लगे। पांदयावाने उनको स्तुति पर प्रसन्न हो घरका फिर किसीने इस रागिणीको मेपरागकी पनी
दरवाजा पोल दिया । रातको हो ऐसा मुयोग पा पार । लाया है।
ये मयो सय वाराणसीको भाग शाये। जो नहीं भागे "ललिता मानसी गौड़ो नाटो देवकिरी तथा ।
सधा जिन्होंने राजा साधो फशी पानी रसोई गालो' मेषयगस्य रागिपयो भरन्तीमाः मुमध्यमा "
उन लोगों से इस श्रेणीके लोग पृथक् हो गये और
(पहीतर
तमोसं पृगक हैं।
इस रागिणीके गानेका समय शरत् देशान् ।
मालयी प्राहाणों में साढ़े तेरद गाव प्रचलित है।" त्यानसे ले कर दुर्गापूजा तक । . गृष्टिफे लिपे ।
भरधाम, चाये, परागर सूये, आहिरम चाँये, भार्गव चौवे . उद्देशसे जो महोत्सव होता है उसे शमोत्थान कहते
आदि गोल और उपाधारी ग्रामण ऋग्वेदी हैं । शाण्डिल्य इस उत्सबके उपलक्षमें भाद्रमासके शुरूपसको द्वार
भूपे, फायण चौये, कौत्स दुवे शादि यजुर्वेदी; शत्म, प्यास मे प्राचिनको शुझानवमी तक इस रागिणी गात
और गौनग सियारी, लोदित नियारी और फौण्डिल्य. अच्छा समय है।
गोयधारी ग्रामण मामयेयी है। पीछे इन लोगों के मध्य "इन्द्रोत्थानात् समारभ्य शबद गांगहोन्सयम्। ।
कात्यायन पाउमएड और मैवेय अगोवरूप प्रविष्ट गया भवेयुधनित्य मालगो सा मनाइरा।"
गुप। विवादादि मिग ये लोग अन्यान्य प्राह्मणों की
तर मामलापका अनुपान फरने हैं। मयुगके नाये फिर भी लिखा है, कि सायंकालमै यह रागिणी
ग्रा . पुरोहिन हैं।
किया जा सकता है।
माल्योग (M००) १ मालवदेशमन्यन्यो, मालयेका। "गान्धारी दीपिका नेय कल्याणी पुरयो तपा।
२.मालय शयामी, मायका रहनेवाला।
अस्ववारी कानमा व गौरी केदारपाEिT
मारण्य (मं० पु० ११ मादयराज पुन । २ महापुमोद। माधयी माजती नाटी भूपाप्नोमिन्युड़ा तपा। .
"पन गनिना मानना देयान्यन ।"
साया रागिणीरता प्रगायति चतुर्दश ।" (सीता
गृहम ६६२)
गान्धारी, दीपिका, कल्याणी, पुरयी, अक्षा
मालश्री (ग्नी) मादामी दे।
कानड़ा, गौरी, फेदार, पाहिदा, माधयो, मालती,
मालमियान-पवायफे सनर जालन्धर मिलेका रुभगाली और सिन्धमा इन चौदह रागणियों के "
मगर अापा देना०२:१५ समय संध्याकाल है।
शोक ना।
इमरागिणीका म्यरूप-
मामिग-दासांग गर्गत मांगपुर जिला एक नोलारविन्दरम दमानियाना विधारपती मनु
... म रिणाम २५ गगराम मिलेग ६६ मातृमृतस्य ताने निरयणा शोग्या दुर्मालिका मदिरा
माम जगहों अंगर दाम कम है। नदियोंन नीग
(यव दामन
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/५७२
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