मानिन्- माली .,
मालिन (सं० पु०) माला पण्यत्वेनास्त्यस्य माला (प्रीह्या- | अथवा मलिनस्य भाव इत्यर्थे मलिन प्यम् । १ मलिनता,
दिभ्यश्च । पा ५२१११६) इति इनि | १ मालाकार, मालो। | मैलापन ।
२ राक्षस सुकेशके एक पुत्रका नाम (रामा-उ०६ अ०) । "भोगयागेन मालिन्य नेतु मध्यगतेऽपि सः। .
माला अस्थिमाला अस्त्यस्येति इनि । २ महादेव। । न शक्यते स्म पड्कन प्रतिमेन्दुरिवाभक्षः॥"
"व्यालरूपी गुहाबासी गुहोमाली तरङ्गयित् ।"
आकाश और पापके वर्णनमें कवि लोग मालित्यका
___(महाभा० १३६१७६ ) । वर्णन करते हैं । अलङ्कार-शास्त्रमें इसे 'कविसमयख्याति'
अस्ति मालास्येति इनि। (त्रि०) ४ मालायुक्त, यतलाया गया है।
मालाधारी।
"मालिन्य ब्योम्नि पापे. यशसि धवलता वपर्यते हासकीयोः ।"
मालिनी (सं० स्त्री०)माला मुण्डमाला अस्त्यस्या अस्यां
. . (साहित्यदर्पण)
वा माला (ग्रीह्यादिभ्यश्च । पा ५।२।११६ ) इति इनि ततो २ अधिकार, अंधेरा । ३ कलुप । ४ कुप्रवृत्ति ।
डीप् । १ मातृकाभेद । मालिन् डोप् । २ मालिक पत्नी, | मालिमण्डन--सह्याद्रिवर्णित एक राजाका नाम । -
मालिन । ३ चम्पानगरीका एक नाम । ४ गौरी । ५ | मालियत (अ० स्त्रो०) १ मूल्य, कीमत । २ संपत्ति, धन ।
मन्दाकिनी, गंगा । ६ नदीविशेष, एक प्राचीन नदीका ३ मूल्यवान् पदार्थ, कीमती चीज। . ...
नाम । इसीके किनारे महर्षि कण्वका आश्रम था और मालिया (हिं०.पु०) मोटे रस्सोंमें दी जानेवाली एक
यहीं पर मेनकाके गर्भसे शकुन्तला उत्पन्न हुई थी। प्रकारकी गांठ। इसका व्यवहार जहाजके पाल वांधनेमें
"जनयामास स मुनिर्मेनकायां शकुन्तलाम् ।
होता है।
प्रस्थे हिमवतो रम्ये मालिनीमभितो नदीम् ॥" मालिया-वम्बईके काठियावाड़ विभागको एक जमीं-
(महाभा० ११७६/८) दारी।. यह अक्षा० २३.१ से २३ १०.३० तथा देशा०
अग्निशिखावृक्ष, कलियारो। ८ दुरालभा, जवासा। ७४६ से ७२२ पू०के मध्य विस्तृत है। 'भूपरिमाण
६ वृत्तभेद । इसके प्रत्येक पादौ १५ अक्षर होते हैं जिन १०३ वर्गमील और जनसंख्या ६ हजारसे ऊपर है । इस.
मे पहले छः वर्ण, दायां और तेरहवां अक्षर लघु और में १७ ग्राम लगते हैं। राजस्व डेढ़ लाख रुपयेके लग-
शेष गुरु होते हैं। १० अप्सराविशेष। ११ स्त्र.न्दकी भग है। यहांके शासनकर्ताको उपाधि ठाकुर है। घे
सात माताओं में से एक माताका नाम।
राजपूत जातिके हैं। यहां ईख और रुई वहुतायतसे
"काकी च हलिमा चैव मालिनी नृहिला तथा। होती है।
आर्या पलाला वैमित्रा सप्तैताः शिशुमातरः ॥" मालिवन्त-एक ऋपि। : :
(महा० ३।२२३।१०) मालिवन्तक-सह्याद्रि-वर्णित एक राजा।
१२ द्रोपदीका एक नाम।
. (सह्या० ३१४६)
"मालिनीत्येय मे नाम स्वयं देवि चकार सा।" मालिवान-सह्याद्विवर्णित तोन राजोका नाम । ।
(महा० ४।८।२१) | मालो-पुष्प चेचनेवाली जातिविशेष। ये लोग प्रधानतः
१३ रोच्य मनुको माताका नाम । (मार्कण्डेयपु० ! पुष्पमालाओंको गूथते और देवपूजा तथा विवा.
८५-७) १४ श्वेतकर्णकी पत्नीका नाम । १५ मदिरा हादि शुभकर्मामे प्यवहार करनेके लिये मौर आदि पुष्पा
नामको एक गृत्तिका नाम ।
भरण तय्यार कर बेचा करते है । पुष्पसम्भार
मालिनोतन्त्र (सं० क्लो०) तन्तभेद।
। संग्रहके लिये बङ्गालके माली अपने घरके निकट वाटिका
मालिन्य (सं० पु.) पर्वतभेद ।
तैय्यार कर पुष्प उत्पादन करते हैं। । .
मालिन्य (सं० सी० ) मलिन (बुछण कठजिनसेनिरदन- | यह जाति किसी किसरी मन्थमें अन्त्यज फही गई
गयेति । पा ४।२।८० ) इति सङ्काशादित्यात् ण्यप्रत्ययः; | है, किन्तु यथार्थमें ऐसी नहीं है । बङ्गालके माली ।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/५८२
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