पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/६२७

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पिन-भिलाम ५५५ मित्रत्व ( स० को०) मित्रस्य भावः त्व। मित्र होनेका | मित्रपद ( स० क्लीं० ) पुराणानुसार एक प्राचीन तीर्थका भाव, सौदाई, दोस्तो। नाम । ( मत्स्यपु० २२११ २०) मितदात-एक बहुत प्राचीन पार्थियं सम्राट् । युक्र | मित्रप्रतीक्षा (सं० स्त्रो० १ मित्रके प्रति सम्मान । २ दोस्त- साडेसका साम्राज्य जब अन्तपिठयके कारण छिन्न भिन्न के लिये इन्तजार। हो गया, तब इस (Mitaridates I) ने उस राज्यके अधि. मित्रबाह (सं० पु०) १ वारहवें मनुके एक पुत्रका नाम । कांशको जीत लिया। ईसाफे १४० वर्ष पहले इसने | २ श्रीकृष्णके एक पुत्र का नाम । भारत पर भो चढ़ाई की थी। पञ्जाव जीत कर यह यहां ! मित्रमानु (सं० पु०) महाभारतके अनुसारं ऐक रोज- "छत्तप" या छत्रपतिको शासनकर्ता नियुक्त कर गया था। कुमारका नाम । (भारत १३ पर्व ) आज भी पायमें उस पार्थिव सम्राटोंके आनेका मुद्रा मिलगाव (सं० पु०) मित्रका धर्म, मिलता । चिह मिल रहा है। अब तक जो पार्धिव-मुदा मिली मिनभृत् । सं०नि०) मिलपोपणकारी, मिनको परवरिश हैं, ये सव ईसाके ६० से ६० सन् पहलेकी बनी हुई है। करनेवाला। मित्रदेव (सं० पु० ) १ महाभारतके अनुसार पक राजा- मित्रभेद (सं० पु०) मिलके साथ विवादकारी, वह जो का नाम। २ वारचे मनुके एक पुत्रका नाप । ३) मितों में लड़ाई कराया करता हो। मादित्यदेव, मिल नामके आदित्य । | मित्रमहस् (सं०नि०) अनुकूल दोनियुक्त, हितकारी तेजस। मिल ह (सनि०) मिनके साथ शत्रुता करनेवाला। मिमिश्र (सं० पु०) वीरमिलोदय नामक यांशयरुपये- जन्द भाषा इसे 'मिप्रभू ह' कहते हैं । स्मृति टोकाके रचयिता। ये परशुराम मिश्रकै पुत्र और मिलद्रोह (सपु० ) वाधुसे शव ता करना। ईस पण्डितके पौल थे। राजा प्रतापरुद्रके पौत्र राजी मित्रद्रोहिन (स० लि.) मित्रद्र ह्यतीति मिलदह-णिनि । बोरसिंहफे आदेशसे इन्होंने उक्त प्रन्धकी रचना की। मित्रसे शत्रु ता करनेवाला। आनन्दधम्पू के प्रणेता। मित्रद्विषु (सलि०) मित्रकी हिंसा करनेवाली । मित्रयक्ष (सं० पु०) एक व्यक्तिका नाम। (संस्कारकौस्तुम)। "मित्रद्रोही कृतमश्च ये च विभ्यासघातकाः । मित्रयु (सं० त्रि०) मित्र यातीति या-3 ( क्याच्छन्दसि। तेनरामरक यान्ति यावचन्द्रदिवाकरौ ॥" पा ३।२।१७० ) मिलवत्सल । मृग-या-कुः निपातितश्च (द्वात्रिंशपुत्तलिका) (मृगरवादयश्च । उण ११३८) (पु०) २ लोकययात्रिक । मिनधर्मन् (सं० पु०) याविघ्नकारी असुरभेद, एक राक्षस ३ लोमहर्षण ऋषिके एक शिष्यका नाम । जो यज्ञमें धाधा डालता था। "सुमतिश्चाग्निववारच मित्रयुः शशिपायनः।" मिलधित (स को०) मितनिहित धन, मित्र द्वारा (विष्णुपु० १३६।१८) रखा हुआ धन। मिनयुज (सं० स्त्री०) १ मैतीयुक्त । (पु०) २ उपाधिभेद । मित्रधिति (स' स्त्रो०) मित्रका धारण, बन्धुओंकी रक्षा || मित्रयुद्ध (सं० फ्ली) मिलेपा सह युद्धम्। सुहृत् संग्राम, मित्रधेय (स० वि० यजमानके यागलक्षण कार्य। दोस्तोंकी लड़ाई । पर्याय-मयिका। मिलधुह (स. त्रि०) मित्रद्रोहकारी, मिल पी। मित्रराज (संपु०) सह्याद्रिणित दो गजों के नाम । मित्रनाइ -सह्याद्रियर्णित एक राजा (सह्या० ३२।१४, १३१५) मित्रपञ्च ( स० लो०) रसैन्ट्रसारसंग्रहफे अनुसार मित्रलब्धि ( स० स्रो०) मित्रस्य लम्धिः तत् । मित्र . घी, शहद, गुजा, सुहागा और गुग्गुल इन पाँचीको प्राप्ति । समूह। मिनलाम ( स० पु०) मित्रस्य लाभः। १ मिलके साथ मित्रपति स पु०) मिनप्रतिपालक, यह जो दोस्तोंकी | सम्मिलन, दोस्तोंका मिलना । २ हितोपदेशका एक परवरिश करता हो। . . , . संश।