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पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/६६०

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मिलनस्थान विवाह और सांसारिक जीवन । प्रन्थावलीमें अधिकांश ही टेलरपली द्वारा रचित हैं और मिल संसारफे साथ अधिक मिल न मफे, सदा याकी दोनों को। अपनी 'स्वाधीनता' पुस्तक स्त्रीको पृषफ हो रहे । इसीलिये समाजकी शक्ति कार्य समर्पण करते हुए उन्होंने कहा था, "इनके साथ जो क्षेत्र में उन पर अपना आधिपत्य जमा न सको। उनकी महतो चिन्ताए' समाहित हुई, उनका बाधा भी जगत्में नाजनी गृति जैसी परिस्फुट हुई थी, कार्य. : यदि व्यक्त होता तो जगत् की उन्नति चरमसीमाको पहुँ. कारिणी पत्तियों का चैमा विकास नहीं हुआ था। उनके चती। हृदयको मायराशि अर्थात् पनेर, भकि, प्रेम आदि प्रवृ. जो हो, मिल प्रणयिनीसे जैसा प्रेम करते थे, यह प्रण- त्तियां रोत्यानुसार विकमित नहीं हो सकी थी। बाल्य यियोंके लिये आदर्श म्वरूप है। किन्तु मिलकी जीवनीके जीयनमें पिताका योयन और प्रौढावस्था में उनको स्त्रीका लेखकोंने मिलको पत्नीपरायण लिख डाला है । क्योंकि हो आधिपत्य दिखाई देता है। किन्तु कोमल वृत्तियोंका जव मिल दक्षिण फ्रान्समें रहते थे, तब उनकी पत्नीको उन्छास उनके जीवनमें दिखाई नहीं दिया था। वार्डस् ! वहां मृत्यु हुई। पत्नीवियोगके वाद मिलफे चिन्ताशील वर्थको कविता फेवल उनके हृदयको ही उच्छासित संयतवित्तमें भी दारुण आघात लगा था ।' घे उसी करतीथी और लीलामयी प्रकृति के विचित्र दृश्य में उनका । समयसे सांसारिक सुखको तिलाअलि अमिटन वित्त विस्मयवशतामें निमग्न होता था। . नामक स्थान में पत्नीको कत्रके समीप फुटी यना कर ____मिल अपने यौवनकालके प्रारम्ममें सन् १८३० ई०- , अविरामवाही अभुजलके प्रणयतर्पणसे फत्रकी मिट्टोको में अपने बाल्यमित मिटर टेलम्फे घर जाया करते थे। मींचते थे। प्रकृतिको उस शान्तमयी कुरीमें उस पनी- टेलरने उनका अपने पत्नीसे परिचय करा दिया था।। के पूर्वपतिके औरसजात कन्याफे और उनका कोई किन्तु उस समय उन्होने स्थानमे भी सोचा न था, कि साधो न था। उनको मिलमण्डली सदा उनको देखने रेलरकोपनो योर उनमें प्रेमका बन्धन बंधेगा। मिल जाया करती थी। मिलके कोई पुन न था। . टेलर पत्नोको विद्याधुद्धिको देख कर मन ही मन उन्हीं मिलक (सं० पु० ) मेलनकारी, एक साथ करानेवाला। को अपनी अधिष्ठात्रीदेवी धनानका विवार करने लगे। मिलक ( अ० स्त्री० ) १ जमीन-जायदाद, मिलकियत । ५ स्वाधीनताप्रिय टेलर-परनोने भी स्त्रीजातिके प्रति मिल- जागार। का स्यामायिक अनुराग और समवेदना देख मन ही मन मिलकासिह---एक सिख-सरदार । ये १७६५ १०में उनको अपने हदयसिंहासन पर बैठाया। दिन मणि गवलपिण्डोको अपने कम्जेमें फर राज्यशासन करते किरणोंसे नवविकशित कमलिनीकी तरह स्वतन्तशशि थे। इनके यत्नसे स्थानीय घाणिउपकी बड़ी हो उन्नति लापी इन विदुषो रमणीको अकांक्षा धीरे धीरे विकसित . हुई थी। होने लगी। समाजवन्धनमें स्याधीन जीवनको सला. मिलकी (हिं० स्त्री० ११ वह जिसके पास जमीन जाय- पत करना उनके मतसे पाप था। इस तरहको रमणी दाद हो, जमोदार । २ वह जिसके पास धन-संपत्ति हो, दौलतमंद । के साथ मिलता-स्थापन मिलने अपने मतके अनुकूल नुकूल मिलन (सं० को०) १ समागम, भेट, मिलाप । २ समझ लिया था। मित्रता स्थापित होनेके वीस वर्षा पाद टेलरपत्ती पतिहीन हो गई और -मीभाग्यके मिलनसार (हिं० वि०) जो सबसे प्रेमपूर्वक मिलता हो, अपूर्व सुयोगमें इनकी बहुत दिनोंकी मागालता लहलहा : सवसे हेलमेल रखनेवाला। उठी। मिल इस रमणीके गुणों पर इस तरह मुग्ध थे, मिलनसारी (हिं० सी०) सबसे प्रेमपूर्वक मिलनेका गुण, कि प्रणयिजनमुलभ दुर्यलताके अनुरोधसे उन्होंने इन- सबसे हेल मेल राना। को शैली और कारलाइलको अपेक्षा भी उग्र आमन मिलनस्थान ( म० स्त्रो० ) यह स्थान जहां मिलन दिया था और मुक्ताफएउसे स्योकार किया था, कि उनको होता है।