पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/६७५

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पिन ६०३ यहाँको यायुमें 'जलको भापमा पूर्णतः अभाव है। । जाते हैं । ताड़के पेड़ हर जगह दिखाई देते हैं। मिन्नमें 'इसीलिये मिस्र में वृष्टि, तूफान या यत्रपात नहीं होता। अरण्य नहीं है। यहां "पेपाइरस" नामक पेड़ उत्पन्न 'समुद्रके किनारेके स्थानों में कुछ वर्षा होती है। उत्तरकी होते हैं। ७००० वर्ष पहले मित्रमें इसके बल्कल या ओरसे वायु प्रवाहित होती है। शीत-ऋतु ही यहांको छालसे कागज तैयार किया गया था। मिन-भाषाके माधो-हवाके लिये बहुत रमणीय है। यसन्तके अन्तमें । प्रायः प्राचीन ग्रन्थ इसो छाल पर लिखे गये थे। 'सासून' और 'सिरको' आदि मरभूमिमें विषाक्त वायु पहले की यहांके राजा थे, उसकी उपाधि खदीवं प्रवाहित होती है। इसी वायुफे स्पर्शसे प्राणिमात्र ही होती थी। पहले इन्हीं खदीयके अधीन एक मन्त्री- मुहूर्त भरमें काल-प्रसित होते हैं। मण्डल रहता था। इसी मन्त्रो-मएडल द्वारा यहांका • प्राणि राज्यमें नाना तरहके वैचित्रा दिखाई देते हैं। राज्यकार्य निर्वाहित होता था। इसमें सैनि होके विभाग- नील-नदमें दरियाई घोड़े बहुतायतसे देखे जाते हैं। से ४ और विचारोंके विभागसे ४ मन्त्री चुने बहुत सहनं यों से ही यह प्राणी मिस्र में पाये जाते हैं। जाते थे। आदि राजा 'मेना' दरियाई घोड़ोंका शिकार खेलने में खदीवोंके जमानेमें मिस्रकी बड़ी धीवृद्धि हुई है। ही. मारे गये थे। इस समय नील-नदके दक्षिणांश- पाश्चात्य आदर्श पर कितने ही विद्यालय स्थान स्थान के सिवा पे दूसरी जगह नहीं दिखाई देते, मित्रमें ही ! पर प्रतिष्ठित हुए है। सुएज फेनेल (नहर ) खुदधा सवले अधिक अहिनकुलका प्रादुर्भाव है। मीलनदके | देनेसे यहां के व्यवसाय-वाणिज्यकी वडी उन्नति हो रही घड़ियाल पृथ्वीमें मशहूर हैं। गृहपालित सब तरहके । है और पाश्चात्य सभ्यता यहाँके अधिवासियोंका चित्त पशु पक्षियों सिया हिरण, टगाल (सियार या गीदड़)। अपहरण कर रही है। और सींगवाले सर्प यहांके अद्भुत जन्तु हैं। टियो पुरातत्व। बहुतायतसे देखी जाती हैं | तरह तरहरू कीट-पतङ्गोंका मिस्रका पौराणिक इतिहास अन्धकारसे आच्छन्न भी यहां अभाव नहीं है। . . . . . . . है। ऐतिहासिकोको पर्वत पर खुदे लेखोंसे पता लगा है, . 'मिस्रमें धातुद्रव्यको बान नहीं है। ७००० वर्ष . कि देवाने सत्ययुगमें मिस्रम २४६०० वर्ष तक राज्य .पहले मेनाके राजत्वकालमें पत्थरके बने अस्रोंका किया था। इसके बाद मिस्र में नेता और द्वापर युगमें प्रयोग होता था । शिन्तु ये इस तरहके कौशल- देवयंशसम्भूत राजाओंने ६००० वर्षो तक राज्य किया से बनाये जाते थे, कि उनसे हजामत तक भी बन सकती है। इसके बाद ईसाके ५००४ (या ७००४) वर्ष पहले थी और अस्त्र चित्सिा तकमें भी काम लिया जा मनुष्य जातिके आदि राजा मेनाने नये राज्यको स्थापना सकता था, लकड़ी काटने और अन्यान्य कामोंको कौन कर राजघंशकी प्रतिष्ठा की थी। उस समयसे भाज कहे। . तक ७००० वर्षका धारावाहिक इतिहास मौजद है । इस. • पनिज द्रनामें मर्मर पत्थर, गन्धक, सोरा और लिये मिस्रका अतीत वृत्तान्त दुर्भद्यतमसाच्छन्न नहीं नमक तथा छोटे छोटे होरे ही प्रधान हैं। है। अगरेज पहले मिस्र के प्राचीनत्यमें सन्देह करते थे। धाम, मका (मकई ) याजरा, कपास, जौ, गेह,। फ्योंकि अगरेज-धर्मयाजक 'सासार' (Usher). गणना ककड़ी, घोरे, ईख, अफोम, तम्बाकू, पटुआ और 'नील कर बतलाया था, कि ईसाके ४००४ चपे पहले पृथ्वीको यहांकी प्रधान ऊपज हैं। भूमि अत्यन्त उपरा है। वर्षा, सृष्टि हुई और २३४८ वर्ष ईसासे पूर्व जलप्लावन या म होने पर भी असंख्य नहरोंके जलसे खेतीका काम प्रलय हो गया था। उस समयके लोग आसारकी होता है। मिस्रके फलोद्यान पृथ्वीमें सयसे अधिक मश गणनाको निमूल कहते थे। किन्तु प्रततत्त्वविदोंने हर है। नारंगी ( संतरा ) आदि कई तरह निम्बू, पर्वत पर लिखे विचित्र चित्रलिपियोंका (Ilieroglx. मोर, अखरोट, खजूर, बादाम, फेला चहुतायतसे पाये ! phies ) यथार्थ तत्त्व जान कर भी भासीरिया, ग्नानी,