पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/६९७

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.. मित्र ६२१ - गये हैं, उसका वर्णन नहीं किया जा सकता। इन्हीं। विज्ञान और शिल्प। - सब कारणों से मिस्र भाषाका अमूल्य साहित्य ध्यसको प्राचीनतम समयमें शिल्प विज्ञानका उत्कर्ष देवनेसे प्राप्त हुभा। इस समय प्रततत्त्वमुग्ध जर्मन और विस्मयविमूढ़ होना होता है और इतने सहस्र वर्ष 'मान्सीसो पण्डितोंने अक्लान्त परिश्रमसे भूगर्भ और धीत जाने पर भी ऐसा समझमें नहीं भाता, कि सभ्यता- पर्वतों से चित्रलिपिका जो तत्त्व आविष्कार पिया है गत का प्रवाह अधिक आगे बढ़ा है। भद्ध शताब्दीको गधेपणामें उसके सम्बन्धमें बहुतेरी बातें सबसे पहले उस समयको कालगणना पर दृष्टिनिक्षेप प्रकट हुई हैं। पण्डितोंने मधुलोलुप मधुकरों को तरह। करनेसे दिखाई देता है, कि मिस्रवासी ज्योतिषमें बहुन विविध स्थानों से कई हजार वर्ष पहलेको हस्तलिपियों आगे बढ़े थे। उन्होंने चन्द्र और सूर्यको कालका धकरके चमडे पर लिखित विवरणों, शिला और विधानकर्ता ("ये द्वे कालं विधत्तः" कालिदास ) माना स्तम्भ लेखो की पर्यालोचना कर मुक्तकण्ठसे कहा है, कि है। यह बड़े ही आश्चर्यकी बात है, कि मिस्रकी 'मिस्रवासियों के बहुत बड़ा जातीय साहित्य था। सभ्यताके प्राथमिक सोपानका पता नहीं लगता। जब केवल एक धर्म-ग्रन्थ ( Ritual ) से कितने ही तन्त्र-। द्वापरयुगमें सूर्य पुत्र मेनाने सिंहासन पर बैठ मिन्नमें .मस्वोंका पता लगता है । इस पुस्तकमें देहान्तर आत्मा : मानव राज्यका सूत्रपात किया था मिस्र उस समय की गतिके सम्बन्धके कई ऐसे गूढ़ रहस्य भरे पड़े हैं, भी सभ्यतासौधके उग्र सोपान पर बैठा दिखाई देता जो शाज तक समझमें न आये हैं। डाकृर लेप्सियस है। उस समय भी उसे कठिनाइयों को पार कर ऊपर Dr. Lepsius ) ने इस पुस्तकको प्रकाशित किया है' नहीं चढ़ाना पड़ा था। और मिटर डी० रुजे और डाकुर वार्थ (Mr. De-Rougel मिस्रवासी ३६५ दिनका वर्ष मानते थे। वर्षमें १२ मास und Dr. Birch -ने उसका अनुवाद किया है। सिवा होते थे। इन १२ मासों के नाम इस तरह है।-१ यथ इसके एक और पुस्तक निम्न गोलाद्ध का इतिहास' (Thoth), २ फाओफी (Phaophi), ३ आथीर (4thyr), (History of the Lower Hemisphere ) मिली है। ४ चोइक ( Clioilk ), ५ ताइवी ( Ty.bi ), ६ (Icchur), सिवा इसके कनिस्तानोंके भीतरसे बदतरी पुस्तके ७फामेनथ (Phuinenotli), ८ फारमुथि (Purnmathm), . मिली है और मिल रही हैं। धर्मनन्योंकी अपेक्षा | पाचीन (IPachon), १० पैनी (Psmi ), ११ एपिपीई नीतिशास्त्रको पुस्तकोंकी चमत्कारिता अधिक है। दो (Pprpoi) और १२ मेसोरी है। चार नामोको एक ऋतु सरहके इतिहास मिलते हैं-रला राजकर्मचारियोंके लिखे | होती थी। इस तरह बारह मासोंमें तीन ऋतुप होतो और .२रा साधारण लोगों द्वारा संगृहीत । राजकीय । थी। ऋतु शा (Siha ) या वर्षा ऋतु, पेर ( Per) या लेखोंका इतिहास केवल राजकुलके विस्तार और शीतकाल और सेमा (Shena or nmmer) या प्रोम प्रशंसाओंसे परिपूर्ण है। उपन्यासोंमें यथेष्ट रचना ऋतु। सूर्यके अद्रानक्षत्र में प्रवेश करनेसे (Heliocul , नैपुण्य दिपाई देता है। राजा आत्मजीवन वृत्तान्त | rising of the Sothis ) अर्थात् वकि मारम्भसे थर्पको लिखते थे। इन पुस्तकों में कई पुस्तकें मिली हैं। गणना होती थी । गोलनदकी पहली (जलप्लावन ) वाढ़ ___एक किस्से कहानीको कितावका नाम "सेटनौका वर्षको शुभ सूचना देनी यो। पिछले समयमें सौर और . किस्सा" ( Tute of Setnan) है। इस पुस्तकमै वड़ो। चान्द्र दोनों वर्षाका प्रनलम हुआ। कुछ लोगों का कौतुहलपूर्ण कहानियां हैं। ये याहत ही सरस और कहना है, कि वासन्तिक पतझड़ों से वर्षकी गणना की | जाती थी। मधुर है। अब भी अन्य पाये जाते हैं । पिरामिडके ! सुहद कमरोम और समाधि क्षेत्रोंके भीतरसे अतीत में विभक्त थी। दोपहर रातर्फ वादस दिन गिना ___ ३० दिनोंका मास होता था। दिन रात २४ घण्टों. फोत्तिके विविध, नमूने मिल रहे हैं। आशा है, कि । जाता था। प्रस्तरखोदित ज्योतिषिक लग्नसारणोमें भविष्यमै बहुतेरे अतीत रतोंका उद्धार होगा। आद्ध स्फुट गणित रहना था। Vol. AII. 156