महम्मद-महम्पद श्य ७५ . नाम मिन् । प्रतिमाको बटुन कुछ मेघाच्छन्न कर दिया है। इनके ६. उमहाधिधा (मात्रु सोफियानकी चलाये इम्लामधर्म में प्रात धर्मस्थकी गमारता न रहने कन्या ) पर भी सामाजिक प्रतिपत्तियों को पूर्ण प्रति विरा. ७.1 जनव (महम्मदके नौकर जती है। अयदकी विधया स्त्री) ६४१ इनके कर्मजीवनका सूत्रपात मदीनामे मोर उसंको ८। अनय (खुनोमाको कन्या) ६४१ । परिपुष्टि तथा अवसान मास में हुमा था। इन दोनों । मैमुना (हरितकी कन्या ) ६७१ स्थानों को कार्यापरमारा ऐतिहासिकों का मालोच्य .१०। जयारिया (हरितको कन्या) ६७०,५मास । विषय होने पर भी उनकी धर्मप्रतिष्ठाफे सम्बन्धमे कोई .११। सफिया (होयर विन् अख्तारको साधक विपय नहीं है। फुरानमें जिन मव नियमों कन्या ) ६७० । - १२ मरिया कोतो (इजिप्टदेशको कन्या, को ये ईश्यरफी अभि यक्ति पतला गपे हैं ये सब नियम __इसके गर्भसे इब्राहिम सर्वसाधारणके निकट विवादास्पद हैं। प्रतिहिंसा फा जन्म हुआ) ६४७ । भीर प्रयशनाने जो कलङ्ककालिमा इनफे जीवन पर पोतो ' अनेक भक्तासुधियोंने महम्मदको इस बहुविवाहका सम.। है यह मिट नहीं सकती। 'र्थन करते हुए कहा, कि देवदतगण साधारण मनुष्यो- नरखलाफे युद्ध में भीषण नर-दस्या तथा फोसिरफे को तरह पार्थिव नियमो के यशोभत नहीं है। अतपय युद्धमै छः सौ निरपराध यहूदियों के प्राणयिनागने महम्मद अवतारी पुरुष थे। महम्मदके जीयनको सदाके लिये फलटिन कर दिया है। जगत्के इतिहासमें असामान्य प्रभुता प्राप्त करने पर ये एक प्रभूत प्रतिभाशाली पुरष थे, इममें सन्देह नहीं। पाले महम्मदको जीवनीको आलोचना करनेसे मालूम , कंवल अपनी आकाझाको पूर्ण करने के लिये दी ये होता है, कि एकमात्र सामारिक व्यापारको छोड़ और ऐसे ऐसे कठोर फार्म कर गये हैं। 'कोई भी दोप इनमें न था। अरसके एकछत्र राजा दो। विस्तृत विवरण कुरान और मुसलमान सन्दमें देगी ।। ‘फर भी इन्होंने साधुजीवन के अनुष्ठित ब्रह्मचर्यको सभी महम्मद १म-तुमकफे एक सुल्तान, मुन्नान याजिद- कठिनतामों का अवलम्बन किया था। ग्यान, पान और के पुत्र । क्याजिदको मृत्युके बाद इनके पुत्रों में विरोध घेशभूपी किसी विषयमें उनकी स्पदा न थी। पर हां, बड़ा हुभा जिससे १५ वर्ष तक तुर्फ में अराजकता फैली धनरनादि पार्थिव ऐश्वर्या उनको कुछ कुछ आसक्ति रहो। पीछे १४१२६०में महम्मद पिताको गदी पर, ये ये देखी जाती पो। ये अपने जीवन के उद्देश्यानुकल उपा- धड़े माहमो थे। दोंने अपने पाहुबली कोपादोकिया, सनाफे कठिन नियमों का पालन कर गये। एकमान, मर्मिया, यालानिया राज्यको जीता था | कस्टन्टनोपदके 'मालोकको मुक्तिके लिये हो ये पैगम्बर हो कर धगधाम मम्राट मानुपल पालि उलोगसमे मित्रता होने पर इन्होंने पर उतरे थे. ऐसो उनकी उक्तियो। मदीनावालों को अपने राज्यफे का मन उन्हें मेंटमें दिये थे। मन् १४१२ पैगम्वरका महत्व यदिघे न दिखलाते तो कमी भी उनके ०को ४१ वर्षको भयस्याग एडिया गोपट नगरमें नका इस्लामधर्मका प्रचार नहीं हो सकता था। साधारण ददायमान हुआ। इन पुष २य मुराद राजमिहामन पुरषकी तरह स्त्रियों को भी इन्होंने अपने धर्मप्रतकी । अधिकारी एए मधिकारिणी बनानेसे न छोहार इमलिय परयों महम्मद य-तुर्फ जातिके एक मम्राट । इसने अपने पल मुसलमान-सम्प्रदायने इनकी तीय निदा की है। मह.. और परायमरी 'मान'को उपाधि पाई ll १४५१ स्मदने सपनेको फमी भी चरित व्यक्ति में बता में पिता (२य मुगद के मरने पर गागरो माया। पेमपने कार्य हो देयदत कहलाये। परन्तु पर पेटे भीर पुत्रगे मोदकर प्राका पालन करने 'मुसलमानों के पवित्र अन्ध पुरानने ही महम्मदको लगे। मो भी हो, का विषय यह है कि गती पर
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