मुंअवत्-मुड़ना
मुअवत् (सं० वि०) मुंआ अस्त्यर्थे मतुप, मस्य यः । १ । आदिका यह भाग जो उसके प्रयोग के समय मुट्ठी में
मुजविशिष्ट, मुअयुक्त । (३०) २ सोमलता भेद। पकड़ा जाय, ट। ४ पुलिदा यंधा हुमा समूह जो
महामारतफे अनुसार फैलास पर्वतकें पासके एक मुट्ठोमें आ सके। ५ कपड़े को गहो जिसे प्रायः पहल-
पर्वतका नाम।
वान आदिको बाहों पर मोटाई दिखलाने या सुन्दरता
मुञ्जवासस् ( स ०) शिव, महादेव ... बढ़ाने के लिये बांधते हैं। ६धुनियों का एक औजार ।,
मुआत ( स० पु०) तृणविशेष। .
यह वेलनके जैसा होता और इससे रूई धुनते समय
मुझातक (सं० पु० ) मुझे अतति तत्सादृश्यं प्राप्नोतीति तांत पर आधात किया जाता है।
अत अच, ततः स्वार्थे कन् ११ पुष्पशांकविशेष, मुजरा मुहामुहेर (हिं० स्त्री.) कहारकी चोलो में जवान आरत ।
फन्द । इसका गुण स्वादु, वृष्य, पित्त और वायुनाशक मोहिक स्त्री०) १ यंधी हुई हथेली, हाथको यह मद्रा जो
२ मुअज।
उंगलियोंको मोड़ कर हथेली पर दवा लेनेसे बनती है।
मुजातकफल (सं० क्ली०) मुआतक धोज ।
२ उतनी वस्तु जितनी उपयुक्त मुद्राके समय हाथमें आ
मुसादित्य (सं० पु०) एक कपि ।
सके। ३ बंधो हथेली में बराबरका विस्तार । ४ घोडे ।
मुखाद्रि (संपु०) पुराणानुसार एक पर्वतका नाम का वह भाग जो सुम और टखनेके बीच पड़ता है। ५
मुबारा ( सं स्त्री०) एक प्रकारका कंद, मुजरा कन्द । एक प्रकारको छोटो पतली लकड़ी। इसके दोनों
मुसाल (स'० पु० ) एक प्राचीन ज्योतिर्विद् ।
सिरे कुछ मोटे और गोल होते हैं। यह छोटे छोटे
(सिद्धान्तशिरो० ६१८)
बच्चीको खेलने के लिये दी जाती है । ६ मंगोंकी मालिश,
मुजावट ( स० क्लो०) महाभारतके अनुसार एप तीर्थ
पो।
. ..
.
का नाम।
मुठमेढ़ (हिं० स्रो०) १ लड़ाई, टक्कर । २ सामना,
मुटकना (हि'० वि०) जो आकारमें छोटा, पर सुन्दर हो।।
भेंट।
मुरका (हि.पु.) बङ्गालमें बननेवाला एक प्रकारका
मुठिका (हिं० स्त्री० ) १ मुहो। २धूसा, मुका। .
रेशमी कपड़ा। यह धोतीकी जगह पहननेके काममें
माता है।
मुठिया ( हिं० स्त्रो०) १दस्ता, येट। २ धुनियों का एक
मुरको ( हि० स्त्री० ) कुलथी।
औजार । इससे वे धुनकीको ताँत पर आघात करते हैं ।
३ हाथर्मे रखो या ली जानेवाली वस्तुका यह भाग जो
मुटमुरी ( हि पु. ) एक प्रकारका भदई धान ।
मटाई (हि० स्त्री० ) १ स्थलता, मोटापन। २ पष्टिा। मुट्टोम पकड़ा जाता है।
अहङ्कार, घमण्ड। ४ यथेष्ट भोजन वा धन प्राप्त होनेसे मुलुकी ( हिं० स्त्री०) पञ्चोंका एक खिलोना जो काठको
उत्पन्न अभिमान।
यना होता है। इसके दोनों सिरों पर गोलियाँ-सी
मटाना ( क्रि० स्थलाङ हो जाना.मोश हो जाना होतो हैं और बीच में पकड़नेको मूट होती है। गोलियो
२ अहंमन्य हो जाना, अहंकारी हो जाना।
कंकड़ भर भर कर हिलानेसे वह बजता है। ...
मुटासा (हिं० वि० ) बद जी खाने पीनेसे मजे में हो जाने मुड़क (हिंस्त्री०) मुरक देखो। .. ..
या कुछ धन कमा लेनेसे येपरवा और घमंडी हो गया। मुड़कना ( हिं० क्रि०) मुरकना देखो। . . . ".
मुड़ना ( हि कि०) १ दवाव या आधातसे लचना यां
मुरिया ( हिं० पु०) मजदूर, यह जो धोझ ढोता हो। झुक जाना, घुमाव लेना । २ वफ हो कर मिन दिशा-
मुट्ठा ( हि पु० ) ? चंगुल भर वस्तु, उतनी वस्तु जितनी में प्रवृत्त होना, लकीरको तरह सीधे न जा कर घूम करें ।
एक मुट्ठोमें पा सके। २धास, फूस, तृण या डंठलफा किसी ओर झुकना । ३ किसी धारदार किनारे या नोक- ..
उतना पुला जितना हाथको मुट्ठी में आ सके । ३ मौजार | फा इस प्रकार झुक जाना कि यह धागेको मोर न रद्द
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष सप्तदश भाग.djvu/८५६
Jump to navigation
Jump to search
यह पृष्ठ शोधित नही है
