पृष्ठ:हिन्दुस्थानी शिष्टाचार.djvu/१०५

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छठा अध्याय

विशेष शिष्टाचार

( १ ) स्त्रियों के प्रति

हिन्दुस्थानी समाज में स्त्रियों और पुरुषों का बहुधा वैसा स्वतंत्र और परस्पर व्ययहार नहीं होता जैसा अंँगरेजो के समाज में अथवा पर्दा प्रणाली का पालन न करनेवाली अन्य भारतीय समाजों में होता है। हम लोगो के समाज में जहाँ तक होता है पुरुष स्त्रियों के किसी भी काम-काज अथवा सम्मेलन में शामिल नहीं होते, इसलिये हिन्दुस्तानी लोगो को इस बात का ध्यान रखना चाहिये कि ये बिना आज्ञा, अनुमति अथवा सूचना के स्त्रियों की मण्डली में न जावें। परिचित स्त्री से भी बिना विशेष कारण के अधिक बात-चीत करना अनुचित है । यदि बड़ी आवश्यकता हो और उस स्त्री के साथ कोई वयोवृद्ध सगनी हो तो आवश्यक बात चीत कर ली जा सकती है । एकान्त स्थान में किसी अकेली तरुण स्त्री के पास उचित कारण के चिना ठहरना अथवा उससे बात-चीत करना अनुचित है। स्त्रियों से सड़क पर सम्भवत कभी बात-चीत न की जावे।

स्त्रियों के सामने स्त्रियों अथवा पुरुषों से सम्बध रखने-वाले विशेष रोगों की चर्चा करना अथवा उनके लक्षण बताना अशिष्टता है। महिला मण्डली में अश्लील अथवा प्रेम के गीत गाना या असभ्य हँसी करना शिष्टाचार के विरुद्ध है। किसी तरुण स्त्री से उसकी उमर न पूछी जावे और न उमर के सम्बन्ध में कोई और प्रश्न किया जावे । अदालत तक में किसी स्त्री से बहुधा उस विषय