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पृष्ठ:हिन्दुस्थानी शिष्टाचार.djvu/१०४

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हिन्दुस्थानी शिष्टाचार


शता के कारण दूसरे के सामने हो जाय तो उन्हें उसके प्रति उपहास, घृणा अथवा तिरस्कार प्रकट न करना चाहिये, वरन सहानुभूति का व्यवहार करना उचित है। स्वाभविक क्रियाओं मे सदैव इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि किसी के सामने जो विगाडने-वाली कोई क्रिया न की जावे।

सोने-वाले को सोने के पूर्व इस बात की सावधानी रख लेना चाहिए कि सोते समय कोई गुप्त अग उधर न जायँ। सोते हुए मनुष्य को किसी विशेष आवश्यकता के बिना जगाना उचित नहीं, पर यदि उसके कुछ अग खुल जायँ तो उसे धीरज-पूर्वक सचेत कर देना चाहिए। जिन स्थान में कोई व्यकि सोता हो उसके पास हल्ला अथवा जोर से बातचीत करना अनुचित है।



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