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पृष्ठ:हिन्दुस्थानी शिष्टाचार.djvu/२८

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हिन्दुस्थानी शिष्टाचार

(१) जो लोग किसी की बुराई नहीं करते, किसी को कष्ट नहीं देते उनपर भगवान प्रसन्न हो जाते हैं ।

(२) जब कोई दीन भिखारी गृहस्थ के द्वार पर भीख मांँगने आवे तब इसे उसका बड़े प्रेम से आदर करना चाहिये, उसको खाने के लिए भोजन और पीने के लिए पानी देना चाहिए ।

(३) जब कभी कोई सन्यासी किसी गाँव में जाय, तब वहाँ एक रात से अधिक न बसे,अोर किसी बड़े शहर में पांँच रात से अधिक न ठहरे ।

(४) जो लोग गर्भिणी स्त्री, वृद्ध पुरुष, बालक और रोगी को बिना भोजन कराये आप भोजन करते हैं वे पापी हैं ।

(५) दुष्टो का साथ कभी न करे, क्योकि बुरे आदमियों की थोडी भी सगति बुराई उत्पन्न करती है ।

(६) जहाँ तक हो काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद और मत्सर से अपनी बुद्धि को दूर हटाना चाहिए ।

(७) जो लोग वर्णाश्रम-धर्म का पालन नहीं करते उन पर ईश्वर प्रसन्न नहीं हो सकते ।


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