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तीसरा अध्याय

( २ ) व्यक्ति-गत शिष्टाचार

सामाजिक शिष्टाचार में हमें एक ही समय एक से अधिक व्यक्तियों के साथ सद्-व्यवहार करना पड़ता है, पर व्यक्ति-गत शिष्टाचार में हमारा सम्पूर्ण ध्यान किसी एक ही व्यक्ति की आव- भगत में लगा रहता है। यद्यपि सामाजिक शिष्टाचार में भी व्यक्ति- गत शिष्टाचार का भाव मिला रहता है, तोभी अनेक अवसर ऐसे आते हैं जिनमे व्यक्ति ही की प्रधानता रहती है । यदि किसी समय केवल व्यक्ति की प्रधानता हो, जेसे सभा में सभापति की और विदाई में अतिथि की होती है—तो उस समय हमें व्यक्ति-गत शिष्टाचार का विशेष ध्यान रखना चाहिए, पर साधारण रीति से सामाजिक शिष्टाचार के अवसर पर किसी एक व्यक्ति के प्रति विशेष शिष्टाचार का प्रयोग करने से अन्यान्य व्यक्तियों को अपमान प्रतीत हो सकता है । यद्यपि सामाजिक शिष्टाचार में ऊँच-नीच का भेद मानना प्राय अनुचित है,तो भी शिष्टाचार पात्र की योग्यता के अनुसार घट-बढ़ हो सकता है। व्यक्ति-गत तथा सामाजिक शिष्टाचार में जो व्यवहारी समष्टि-रूप से अपना दृष्टिकोण स्थिर रखता है वही अधिक शिष्ट अोर सभ्य समझा जाता है।

( ३ ) विशेष शिष्टाचार

इस विभाग में उन सब व्यक्तियों के प्रति होनेवाले शिष्ट व्यवहार का समावेश होता है जिनके साथ किसी का व्यक्ति-गत अथवा विशेष सम्बन्ध होता है अथवा जो किसी विशेष अवस्था के कारण विशेष रूप से शिष्टाचार के पात्र माने जाते हैं। यद्यपि इस विषय के नियम अन्यान्य प्रकार के शिष्टाचार के नियमो से अधिकांश में भिन्न नहीं है,तथापि इसकी कई बातो में विशेषता है जिसके कारण इस विषय का एक अलग विभाग किया गया है। उदाहरणार्थ, स्त्रियों की अथवा