पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/१०३

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२६----बीर बाबर हुमायूं की प्राण-रक्षा।

१--बाबर का अथ सिंह है। बाबर सिंह की तरह

बली और वीर था। वह दो लंबे आदमियो को काख में दायकर ऊँची दीवार पर दौड़ जाता था और गिरता न था। जो नदी आगे आती उसे तैर जाता था और दिन भर में स्वास कोस धोडे़ पर दौड़ सकता था। वह तैमूर सा निर्दयी न था। उसका चित्त बड़ा कोमल था। वह भारत में प्रजा को मारने या उनको दुःख देने न आया था। न वह चाहता था कि हिन्दुओं के मन्दिर ढहा दे या उनका माल लूट ले जाय। उसकी इच्छा यह थी कि बुद्धिमान और अच्छे राजा की भाँति उन पर शासन करें।

२-वह जब हिंदुसतान में आया तो उसे पठानों और

राजपूतों-दोनों से लड़ना पड़ा। राजपूतों ने उसे इब्राहीम लोदी से लड़ने के लिये बुलाया था। वह न समझो हे कि बाबर भारत में रह आप और दिल्ली में राज्य शथापित करेगा। राजपूतों का नायक उन दिनों चित्तौर का राणा सांगा था। उसकी एक लड़ाई में एक आँख जाती रही थी दुसरी में एक बाँह, तीसरी में एक टांग और उसकी देह भर में तलवार और बरछे के अस्सी घाव थे। सात राजा और २०४ सामन्त (सरदार ) उसके साथ लड़ाई के मैदान में