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जान है। ईश्वर मेरे बेटे की जान बचा दे तो मैं अपनी जान दे दूँगा।"

६—इतना कह कर बाबर ने नमाज़ पढ़ी और ईश्वर से यह बिनती की कि तू मेरी जान लेकर हुमायूं कही जान बचा दे। हुमायूं उस समय पलङ्ग पर बहुत ही बीमार पड़ा था। इस के पीछे बाबर उठा और पलङ्ग की तीन परिक्रमा करके एकाएक बोल उठा, "मैंने ले लिया, मैंने ले लिया" जिस का अभिप्राय यह था कि मैंने अपने बेटे का रोग ले लिया। चित्र में हुमायूं पलङ्ग पर पड़ा है। एक नौकर एक हाथ में जूस का कटोरा लिये है और दूसरे हाथ से चम्मच से उसे पिला रहा है। एक नौकर एक और कटोरा लिये आता है हकीम उस की नाड़ी देख रहा है। बाबर जाय नमाज़ पर नमाज़ पढ़ रहा है। नीचे चौकी पर दवाइयों की बोतल और कटोरे रखे हैं।

७—उस समय ऐसा जान पड़ा मानों ईश्वर ने उस की विनती मान ली। उसी दिन से हुमायूं अच्छा होने लगा और कुछ दिन में लगा हो गया बाबर को रोग लग गया और लटते लटते मर गाया।