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आ गये और दूसरे दिन गडढा पार करने की तयारी करने लगे। दिन के थके सिपाहियों ने अपने हथियार' उतार दिये और अपने अपने डेरों में सो रहे। पर पिछले पहर अंधेरे में पठान पर टूट पड़े और बहुतेरों को काट डाला।

७—हुमायूं अपने सरदारों को लेकर भागा। सब ने यह चाहा कि घोड़ो पर गङ्गा पार करें। पर नदी बढ़ी हुई थी धारा मे घोड़े ठहर न सके, हुमायूं पानी में गिर पड़ा और डूबते डूबते बच गया।

८—इसी समय एक भिश्ती अपनी मशक फुलाये उस के सहारे से नदी के पार जा रहा था। उस ने हुमायूं से कहा कि आप माशक पकड़ लीजिये। हुमायूं मशक और भिश्ती के सहारे से नदी पार हो गया। भिश्ती का नाम निज़ाम महम्मद था। हुमायूं ने उसको बचन दिया कि आगरे पहुच जायँ तो तुम को तीन घण्टे के लिये बादशाह बना देंगे।

९—आगरे पहुँचने से पहिले ही भिश्ती ने हुमायूं से कहा कि आप अपनी बात पूरी कीजिये। हुमायूं ने उसे तीन घण्टे तक सिंहासन पर बैठने की आज्ञा दी। सामने के चित्र में निज़ाम महम्मद सिंहासन पर बैठा है। कहते हैं कि उसने अपनी पखाल के गोल टुकड़े कटवाये; उन पर अपना नाम छपवाया और उन को शिका करके चलाया। उसने अपने मित्रों और नातेदारों को भी बड़ी बड़ी भटें दिलवाईं।