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हिन्दू लोग उस की ऐसी प्रशंसा और बड़ाई करते हैं मानो वह हिन्दू राजा था।

२—अकबर का बाप मरा तो यह केवल तेरह ही बरस का था उस की अवस्था ऐसी न थी कि वह शासन करता। इस लिये एक बुढ़ा तुर्की सरदार बैराम खाँ जिस ने हुमायूं की बहिन ब्याही थी और जो बाबर के साथ रहकर जनम भर उस की ओर से लड़ा था उस का रक्षक और शिक्षक दोनों बनाया गया और पांच वर्ष तक उस ने राज संभाला।

३—अकबर ने लड़कपन ही में अपनी वीरता और उदारता का परिचय दिया। ज्याँही हुमायूं मरा हिन्दू नाम एक हिन्दू सरदार ने एक सेना इकट्ठा करके अकबर पर चढ़ाई कर दी। पानीपत के खेत में उसा जगह बड़ी लड़ाई हुई जहाँ बाबर ने पठान बादशाह इब्राहीम लोदी को परास्त करके दिल्ली की बादशाही पाई थी। बैराम ने उसकी सना को मार भगाया। हीमू धायल हो गया और पकड़ लिया गया और लोग उस को अकबर के सामने ले गये। बैराम ने बादशाह से कहा कि आप अपनी तलवार से अपने बैंरी को मार डालिये क्योंकि वह आपका राज लेना चाहता था। अकबर ने न मारा और बोला, "हम घायल आदमी को कैसे मारे, यह आप मरे के बराबर है।"

४—बेराम ने अपने भतीजे को घोड़े पर सवार होना तीर मारना, बर्छा और तलवार चलाना सिखा दिया।