पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/२१४

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(२०६ ) यह भी धनी हो जाता पर वह भेंट लेना ठीक न समझता था और न कभी लेता था। ८-सन् १७६४ ई० में हेस्टिङ्गस् हिन्दुस्थान में १४ बरस रहने के पीछे इङ्गलैण्ड आराम करने के लिये लौट गया। उन दिनों कम्पनी के नौकरों को जब तक वह हिन्दुस्थान में रहते थे तभी वेतन दिया जाला था! इलैण्ड छुट्टी पर जाने से वेतन या ऐनशन मिलने का कोई नियमन धा। इसी से जब हेस्टिङ्गस् इङ्गलैण्ड लौटा तब एस के पास जो कुछ उस ने अपनी तनखाह से बचाया था उस के सिवा और कुछ न था। यह कुछ बहुत न था और वह डेलसफोर्ड न ले सका। चार ही बरस में उसका सब रुपया जर्च हो गया। उसने ईस्ट इण्डिया कम्पनी से फिर भारत के जाने की प्रार्थना की। उन लोगों ने भी उस को अच्छा चतुर मेहनती सादमी पाया और उसको अब की मद्रास की कौंसिल का प्रधान मन्त्री बना कर भेजा जो गवरनर से कुछ ही घट कर पदवी थी। ४६---वारेन हेस्टिङ्गस्। किरानी से भारत का गवरनर जेनरल। ३--हेस्टिङ्गर दो बरस भद्रास में रहा। उस ने ऐसा अच्छा काम किया और उस के मालिक उस से इतमा प्रसन्न