पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/२९

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देश में उज्जैन उन की राजधानी थी। यह देश पीछे से पूर्वोय राजपूताने के नाम से प्रसिद्ध हुआ और अरवली की पहाड़ी और विन्ध्याचल के बीच में अब भी बड़ा सुहावना लगता है। ५-चन्द्रगुप्त के पहिले शक जाति के लोग हिन्दुस्थान के पश्चिम-दक्षिण कोने में राज करते थे। यह तिथियावाले भी कहलाते हैं और भारत के उत्तर-पश्चिम देशों से आये थे। विक्रमादित्य चन्द्रगुप्त! चन्द्रगुप्त ने उनको परास्त किया और तब से उनका नाम शुकारि पड़ गया। ६-चन्द्रगुप्त की सभा में बहुत से कवि और विद्वान् थे। चन्द्रगुप्त बड़े गुणमाइक थे और इसी कारण भारत के हर कोने से विद्वान् उनकी सभा में जाया करते थे। इन में नव विद्वान् ऐसे प्रसिद्ध हुए कि वह उनकी सभा के नवरत्न कहलाते थे। इनमें सब से बड़ा रत्न कालिदास थे जो हिन्दुस्थान के महाकवि माने जाते हैं। विक्रमादित्य की सभा सूर्य की भाँति थी जिसका प्रकाश सारे देश में ध्याप रहा था और उस की छटा दूर दूर देशों में भी पहुँचती थी।