पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/५१

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क्षपने में देखा कि उसकी सारी देह सड़ गल कर मिट्टी में मिल गई है पर आँखें वैसेही कोयों में फिर रही है --कोई बुद्धिमान् इसका अर्थ न कह सका पर एक फकीर ने समझ कर कहा कि अभी उसकी आँखें यह देखती है कि उसका राज्य औरों के हाथ में है। १२ सुल्ताः महमूद। व्यापारी की माँ का उलहला । १-एशिया के बहुतेरे देशों में एक जगह से दूसरी जगह माल ऊंटों १२ लेजाते है। सौदागर लोग अपने ऊंटों की पीठ पर माल लादे हुए एक साथ चलते हैं और ऊँटों की लम्बी पांत को कारवान रहते हैं। महमूद ने इतने देश जीत लिये थे कि उनका प्रबन्ध करना कठिन हो गया था। एक देश में डाकू एक कारवान पर टूट पड़े ; व्यापारियों का भाल छीन लिया और बहुतेरों को मार डाला। एक ध्यापारी की माँ चलते चलते गजनी पहुंची और सुल्तान के आगे अपना दुख रोई २-महमूद बोला, “धुढ़िया हम इतने दूर देश का प्रबंध कैसे कर सकते हैं। वह देश ग़जनी से सैकड़ों कोस दूर है। इतनी दूर डाकुओं का मन या सड़कों पर यात्रियों की रक्षा हम से नहीं हो सकती।"