पृष्ठ:हिन्दुस्थान के इतिहास की सरल कहानियां.pdf/८९

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उठानेवालों ने भी अपनी तलवारें खींच ली और वे तुर्कों पर टूट पड़े। उन्हों ने उन को मार भगाया। १०-भीमली भी घोड़े पर चढ़ कर पद्मिनी के पास पहुंचा। तुर्कों और राजपूतों में बड़ी लड़ाई हुई जिसमें बहुत लोग मारे गये और बहुत थोड़े राजपूत जी ने। अलाउद्दीन ने फिर फिले पर चढ़ाई की पर हार कर दिलो लौट गया। ११---बादल भी जीता बचा था, जब वह अपनी चाची (गोरा की स्त्री) के पास गया तो उसने पूछा कि तुम्हारे चचा ने क्या किया और अब वह कहाँ हैं ? यह लड़का बारह ही बरस का था पर बड़ो वीरता से लड़ा था और बोला कि उसने अपने शत्रुओं को अपनी तलवार ले खेत की तरह काट डाला अब वह लड़ाई के मैदान में है। उसका बिछौना शत्रुओं की लोथ हैं और तकिया एक शाहजादे की लोथ है। वह बड़ी सुख की नींद सो रहा है और अब्बन उठेगा।" उसकी चाची बोली “क्या मैं जीती रगी। मेरा पति मुझे बुलाता है और मैं देर कलगी तो बुरा मानेगा" इतना कह कर आग में कूद पड़ी और जल कर मर गई।