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पृष्ठ:हृदय की परख.djvu/१६८

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१६६ हृदय की परख शारदा के सिर में चक्कर आ गया। वह वहीं बैठ गई । सुदर ने भूदेव का हाथ पकड़कर कमरे में प्रवेश किया। शारदा स्वामी का यह वेश देखकर विह्वल होकर धरती पर लोटने लगी! भूदेव अपराधी को तरह खड़े काँप रहे थे। सुदर ने कहा-"शांत होओ बहन! ऐसे मंगल के समय क्या तम्हें शोक करना चाहिए ?" इतना कहकर उन्होंने भूदेव को दूसरे कमरे में ले जाकर स्नान कराया, और नए वस्त्र पहनाए । ३० वर्ष के वियोग का अंत हुआ। सतो- साध्वी रमणी-रत्न शारदा ४० वर्ष की अवस्था में पुनः सौभाग्यवती हुई। ईश्वर को माया अगम्य है ! सुदरलाल आजन्म ब्रह्मचारी रहे। सत्य को किसी ने कहीं न देखा । न ch गली न आय T ००2 Stle the rets उन्मर देता है। यह भनित है