पृष्ठ:हृदय की परख.djvu/१६९

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लेखक की अन्य रचनाएँ हृदय की प्यास (द्वितीयावृत्ति) लेखक, हिंदी के सुप्रसिद्ध लेखक प्रोफेसर चतुरसेन शास्त्री। शास्त्रीजी गद्य-काव्य के लिये प्राचार्य माने जाते हैं, पर साथ ही इन्होंने उपन्यास लिखने में भी कमाल कर दिया है। आपने इस उपन्यास में जिस ढंग से मनुष्य के विचारों का संघर्षण कराया है, चरित्रों के चित्र खींचे हैं, उसे देखकर हमें दृढ़ विश्वास है कि यह उपन्यास अब तक के लिखे हुए मौलिक उपन्यासों में सर्वश्रेष्ठ है। रूप के मोह-पाश में फंसा हुअा, असंयमी, भावुक मित्र समान में क्या-क्या अनर्थ कर बैठता है, इसका चित्र इस उपन्यास में जिस ढंग से खींचा गया है, वह पढ़ते ही बनता है । भावमयी भाषा, सुंदर शैली, सरल और सुबोध रचना का यह सर्वोत्तम नमूना है । मित्रता के लक्षण, सौंदर्य की विषमता, शंका की सत्यता. तजनित द्वेष और डाइ, उसका- दुष्परिणाम ही नहीं, वरन् आधुनिक शिक्षा से उत्पन्न सौंदयोपासना, अविवेक और मतिभ्रम तथा पूर्व संस्कार के कारण कर्तव्य परायणता और पश्चात्ताप इसमें पढ़ते ही बनता है। स्वयं पदिए, अपनी गृहिणी को भी पढ़ाइए । ६ रंगीन और सादे चित्रो से सुशोभित । मूल्य २), सजिल्द २।।) खवास काव्याह द्वितीयावृत्ति) लेखक, श्रीचतुरसेनजी शास्त्री । शास्त्रीजी की लेखनी का समस्त हिंदी-संसार कायल है । पृथ्वीराज रासो के आधार पर यह उपन्यास