पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/४१३

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अध्याय ६ वॉ] ३७१ [तात्या टोपे तिसपर भी अनका दाहिना पासा साफ लडखडा गया । ब्रिगेडियर विल्सन मारा गया। क. मॉर्फी काम आया। मॉर्फी, मेजर स्टलिंग, ले. गिधन्स सत्र अलट गये । अच्छा, तो अशियाथियों में अक तात्या टोपे भी निकल आता है। तीसरे दिन तात्या को पूरी विजय मिली और अंधेरा होने तक लड़ते रहे गोरों का असने पूरा सफाया कर दिया । समूचा कानपुर तात्या के हाथ आया। विजयकी मिस तीसरी मालाने तात्या टोपे की तलवार को विभूषित किया।* अग्रेज जब जिस तरह तितरबितर भाग रहे थे तभी कॅम्बेल अग्रेजी छावनी में आ पहुंचा । ब्रिटिश मतिष्ठा को तात्याने नो थप्पड दी थी असका भूरा चित्र कम्बल के सामने खड़ा हो गया । क्रांतिकारियों के सामने दुम दबाकर भागनेवाले अपने गोरे सैनिकों को असने देखा और तात्याने कानपुर में जो भीषण संग्राम छेडा था असकी गभीरता का पूरा महत्त्व असे अँच गया , अिधर तात्या भी पूरी तरह पहचान गया था, कि कॅम्बेल यहाँ जो मितने गर्व से कानपुर की सेना की सहायता के लिओ आया था, असका यही कारण था कि लखन के क्रांतिकारियों की सामर्थ्य कम पड़ी थी, जिससे - ___ * (स. ४४) अिस हार का बड़ा रोचक वर्णन बेक अंग्रेज अफसर ने यो लिखा है:-'आज की कशमकश का विवरण पढकर तुम्हें आश्चर्य होगा; क्यों कि, तुम्हें पता चलेगा, कि अपने सम्मान चिन्हों, बडी अपापियों, और अति प्रसिद्ध वीरता से विभूषित गोरे सैनिकों की हार हुी और घृणित और तुच्छ हिदियों ने अनसे अन के डेरे, सामान और प्रतिष्ठा को छिन लिया। हारे हुओ फिरगी-और हमारे दुश्मन को अिस तरह हमें बुलाने का अब अधिकार है-अपनी छावनी को, अलट गये तलुओं, फटे टूटे कपड़ों, सामानों, भगदड मचाये अँटों, हाथियों, घोड़ों तथा नौकरों के साथ, भाग आये । यह सब किस्सा अत्यंत विषादपूर्ण तथा लज्जास्पद है । ॥ चार्लस बॉलकृत ऑिडि. अन म्यूटिनी खण्ड २, पू १९०,