पृष्ठ:१८५७ का भारतीय स्वातंत्र्य समर.pdf/५०३

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अध्याय १० वॉ] ४६१ - [रानी लक्ष्मीनाली Mara अिस अचानक घावे को देख ह्यू रोज चौक पडा। वह अपने अिम दादी गुटों को लेकर आगे बढा; किसी तरह अंग्रजोंने अँटों के कारण अपनी जान बचायी । मेक अग्रेज लिखता है:--और पंघरह मिनिट ही बीत जाती तो क्रातिकारियोंने हमारा सफाया कर दिया होता । अिमदादी १५० झूटोंने अस दिन हमें अवारा । और अस दिन से, सचमुच, म ड्रेट जानवर को प्यार की नजर से देखने लगा।" केवल ड्रेटदलने ममी २२ को पेशवा की सेना को कालपीतक पीछे हटने पर मजबूर किया । कुछ मुठभेड़ों के बाद २४ मी को ह्यू रोज कालपी में घुस पडा । कालपी किले में तात्या टोपे तथा रावसाहब पेशवा की बड़े कप्टमे जमा की हुी युद्धसामग्री अनायास अग्रेजों के हाथ लगी । साठ इनार रतल बारुद भूमि में गाडी हुी पायी गयी। नयी बदूकें, अद्यावत ढग के बने पीतल के तोप के गोले, अन्हें बनाने के यत्र, सैनिक गणवेश के ढेर के ढेर, झण्डे, मारू बाने, फ्रान्सीसी तुरहिया, युरोपमें बनी गरनाल तोपें और कभी तरह के शस्त्रास्त्र-भितनी अति अपयुक्त निधि अंग्रेजों के हाथ लगी। __ हाथ न लगे केवल शूर तथा सदा स्मरणीय क्रांतिनेता! क्यों कि, कालपी का सपूर्ण पतन होने के पहले अक सप्ताह रावसाहब, बाँदा का नबाब, रानी लक्ष्मीबाभी और अन्य नेता वहाँसे गायब थे । और किसी अज्ञात स्थान को गये थे, किन्तु बिना सेना के, निःशस्त्र और निःसहाय अिन दुर्दैवी नेताओं को मारे मारे फिर कर, भूखों भटक कर या तो शत्रु के चंगुल में पकडा जाना या आत्महत्या करना और काल के गाल में प्रवेशित होना ही पडता और कोमी चारा न था। जिस तरह, जमुना के अत्तर कॉठे का प्रदेश फिर से हडप कर विजयी कॅम्बेल हिमालय तक पहुंच गया । गिधर ह्यू रोज और विटलॉक ने नर्मदा से प्रारंभ कर यमुना के दक्षिण कॉठे के प्रदेश पर दखल किया । क्रांतिकारियों का पूरा सफाया करने पर अग्रेजों को हक था कि वे अपना अभिनंदन करें। ह्यू रोज ने अपने सैनिकों का अभिनंदन अिन बक्ततापूर्ण शब्दों में किया है:-वीर सैनिको! तुमने अक हजार मील का प्रदेश रौध कर शत्रु से सौ