(६६) भी रखने की माशा दिलायो थी, और हमें प्राशा है कि साम्राट के ममाय से हमें स्यराज्य प्राप्त करने में सहायता मिलेगी। जय तक यह निर्णय नहीं हो जाता कि भविष्य में भारत में किस प्रकार का शासन होगा तब तफ भारत पा इस्लेएट फहीं भी शान्ति नहीं रह सकती। सरकार मे साइमम कमीशन की नियुक्ति में जो मारो भूल को थो, उसीके परिणाम स्यरूप लिघप्लवल ने भी उसके पहिष्कार में श्रम्प दलो का साय दिया था, और उसो के फल स्वरूप प्राज राउण्ड रेबल कानमन्स फी चर्चा चल रही है। इससे यह प्रकट है कि अब तक भारत दगलेएम के साथ सहयोग नहीं करेगा तब तक यहाँ का काम अच्छी तरह नहीं चल सकता। राष्ट्रीय कांग्रेस मे महास और फलक के गत अधिषेशनों में स्वतन्त्रता के सम्बन्ध में मो निश्मय किये थे हमारे दल को पसन्द नहीं। हम श्रीपनिवेशिक स्पराज्य के पक्षपाती है। यदि भारत को 'शोघ्र श्रीपनिवेशिक स्वराज्य दे दिया गया तो ब्रिटिश सम्बन्ध तोड़ने का कोई कारण नहीं । पितु हमें या सरकार को स्वतन्त्रता-माम्दोलन को कम महत्व नहीं दना चाहिये । आपने ब्रिटिश सरकार के प्रस्ताव को स्वीछत कर समझीता-समा के प्रस्ताष को मंजूर करने की राय दी। आगे समझौता-सभा के सम्बन्ध में आपने कहा था कि यदि सभा के विमारक्षेप से तत्काल पूर्ण जिम्मेदार सरकार स्थापित करने या मोपनिवेशिक