पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१०६

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(६५) कांग्रेस और लिवरल फिररेशम की मीतियों में पड़ा मेद यह है कि कांग्रेस की मीति का आधार प्रिटिश सरकार और ब्रिटिश राजनीतियों की प्रतिक्षाभों पर अविश्वास है और यह भारतीय स्वराज्य के लिये इतनी पेचैम है कि भारत का ब्रिटिश साम्राज्य के अन्दर रहमा अनिवार्य रूप से प्रवश्यक नहीं समझती। दूसरी तरफ लिबरनों की नीति का आधार ब्रिटिश सरकार की प्रतिहाए , एलान कानून और इशारे है। लिवरत्न लोगों को बिना प्रिटिश साम्राज्य के भारत का कोई जोष हा मगर महीं भासा। थे मारत को ऐसी कोई स्थिति अपनी कल्पना में भी नहीं ला सकते जब यह ब्रिटिश साम्राज्य से अलग हो जायगा। प्रयवा ब्रिटिश सरकार का हाथ उनके सिर पर न होगा। ५० जवाहर लाल नहरु पोर पर सेठना के माषणों में यह मेद पहुत स्पष्ट हो गया है। दोनों में बतमाम परिस्थिति पर पूरा विचार किया गया है। दोनो मापण उत्तम युकि बाद का नमूना है। परन्तु जयाहरलाल महरू देश का धर्तमान प्रमोर्गात का कारण ग्रिटिश साम्राज्य को बताते हैं और सनका ख्याल है जब तक ब्रिटिश साम्राज्य से हमारा सम्पन्ध है तष तक पद दरमधीं हो सकता, इस लिये उनके विषय में यटिश साम्राज्य से मुक होना ही कर्तव्य है। " यह सच है कि पं. जवाहरलाल के पास कोई उपाय इस