पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१२८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

31 1 ( १९७ ) हुए कहा था कि "इस से प्रिटिश सामाग्य के साप माग्न के सम्मान में नुक्सान पहुँचेगा । और इस समय भारत सियों में स्माधानता मेनेको शकि भो महीं है 4. जवाहर नाल नेहरू प्रभृति ने उमको यातों का मो जबाव दिया था पद मम पुरामी पास महीं है । ओ मेता भारत का लक्ष्य ग्रटिश सामाज्य के अन्दर भोपनिषेशिक स्वराज्य समझना दक्षिण अफ्रिका के संघ के प्रधान मंत्री जनरसन हर्ट जा। ग अनसमा में दिये हुए मापण पर ध्यान में जिम में उम्हों मे कहा था कि "दक्षिण अफ्रिका या मोर कोई उपनिश पणतया स्वाधीन होकर ही ग्रिटिश साम्राज्य से सइयाग करने सेयार होगा। यदि घे , प्रिटिश सरकार ) साम्राज्य का पास्मय में सामाग्य सरकार होना चाहते है तो सप से पदम तो सामाज्य के सप देशों के स्यतंत्र लोगों का सहयोग हाना चाहिये यह सहयोग केवल स्वाधीनता के ही प्राधार पर मिल सकता है। २० मार्च के" स्काटसमेन" (एरिनवरा ) पचने लिया है' यह बिलकुल स्पट है कि प्रोपनिवेशिक स्वराज्य का प्रय पूर्ण स्वतंत्रता है। अपने भीतरो मामलों में पूर्म शासन हाना राष्ट्राय रक्षा में पूर्ण अधिकार होना पार उपनिदेश का थियों के साथ सम्बन्ध रसमे में उपनिवेश के अधिवासियों को अपने खुमे दुप प्रतिनिधि मारा सम्बन्ध रसमे का पूप 13 I 1