पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१२७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

(६ ) 1 मारतवर्ष मजबूत पौदा हो गया है. सन १९२७ की मठास दलों के लोग भी थे) अपना एक प्रजातंत्रवादी संघ नागा या काँग्रेस के अवसर पर उन्हो ने अपनी भारतीय प्रजातंत्रवाया स्वतंत्रता के लक्ष्यको पाने के लिये मागेवढ़ने के लिये लालायित सन्चे और श्रादर्श के पक्के मौजवानों के नेतृत्व का युग प्रारम्म तब कुछ पुराने भारतीय मेवा मोर महात्मा गान्धोतकमा स्वतंत्रता के प्रस्ताव के प्रति अपनी नापसन्दगी जाहिर करते, मिश्र की स्वाधीनता के समर्थन और बोनकी राष्ट्रीयता समर्थन के प्रस्ताव पास किये थे। सामाज्यवाद को करें सदा यटा म दने तथा अन्य राष्ट्रों के साथ भारत का अन्तर्राप्यार सम्बन्ध स्थापित करने के प्रस्ताव भी पास किये थे । यदि इन प्रस्तावों की तुलना सन १६०७ की कांग्रेस द्वारा पार किये हुए प्रस्तावों के साथ का जाय तो स्पट हो जाता है। कांग्रेस की सबसे प्राशा जमकवात यह थी किभारत के बहुत से गष्ट्रवादियों मे ( जिन में कांग्रेस के सदस्य तथा भार महासमाषा अधिवेशन किया और उसमें की उन्नति मुला प्रस्ताव पास किये। मद्रास को यह काँग्रेस भारत के स्वा धीमता संग्राम में मवयुगका प्रारम्भ करने वालो हुई था। हुभा, यह उल्लेखनीय है। पं०-जवाहर लाल नेहरू, भी मुभासचन्द्र बोस आदि अ नेताओं की दिठाई से विचलित होगये थे वास्तव में हो 11