पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१३२

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। १२१ ) म्वम राजा ही निपट लें। पास्तव में यही सबसे अच्छा होता कि हम नंगे हाथों लड़ते। उससे भी अधिक मुसिमसापूर्ण यह बात होतो कि स्यय राजा और शासक ही परस्पर मुक्केबाजी कर इसका मिवटारा कर लेते । इससे मा अन्तिम परिणाम में कोई भेद नहीं होता और अस ख्य पदुमूल्य माने घस जासी । यह कैसर ही या रूजवेष्ट ने तो नहीं कहा था, कि मनुष्य तब तक लड़ा करेंगे अब सफ परमात्मा मनुष्यों के यवक्ष पर या सर्व श्रेष्ठ देवदूत नहीं पैदा करेगा । अमी ऐसी भी करवाते है जो प्रव नक प्रकाशित नहा रीगई । उनमें एक तो उस समय की है जप उन दिनों का पड़ा परशानी के बाद अमेरिफ्ना मे अपना सनामो को अपने अधिकार में कर पाया था। इतने में हा अमे राकनों को तो यह भी नहीं मालम है कि पसिग फे प्राधीन अमेराकम सेनाएं ऐसा यी कि यदि शव साममे स हट न आस सा सारा अमेरिका ममामा को अर्ममो अपने अधिकार में पर सता, मेर, ये गाठं नो समय पान पर स्वय हा प्रकारा में पायगी। पर अय या यह सांसारिफ युद होगा यह अत्यन्त यिवक रहिस होगा जैसा अय तक नहीं लडा गया है। समा अपन अपने मम्सम्य विस्थ रह है। गोपाई जितना जानता है यह उतमा लिख रहा है। यहा साधारण विवेक का युख है।