पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१३५

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1 5 ( १२४, ) "मड़ी खुशी की बात है शाह ने कहा कि उस रा अहिषो ने मेरो स्थिति का ठोक ठीक अनुभष, कर लिया है। मालूम पड़ता है राजकुल की वृद्धि भी बढ़ रही है।" "क्या गलैण्ड की मो" मैंने निदोप भाव से पूछा। "अंग्रेजी घरामों में" शाह ने जवाब दिया "मेरी पिता नहीं पढ़ी जाती। फिर कैसर विलियम का जिक्र करते हुए मि० शाने पूषा- "ये फिर गदी पर आने की श्राशा रखते हैं।" "क्या गद्दी से उतारे हुए सम्राट् ' मैं मे जयाप दिया "फिर वापिस भामे को प्राशा नहीं रख सकते !" "मुझे सन्देह है" मि० शाहने जवाब दिया "केसर विधानिक सम्राट होकर फिर पाना पाहंग। वे अपने शर्मा का नाश करने के लिये विजेता यन पर शायद फिर पाने का इच्छा पर सकते हैं। पर स्ट्रट्समम से मिलने के लिये नहीं। पदि फैसर की स्थिति में मैं होता तो निश्चय ही ऐसा करता। साम्राज्य के उत्तरदायित्य मे, मुक होमे से महकर पार उनक। लिये पशो को फ्या वात हो सकती है।"