पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१३६

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

! ( १२५ ) "निमेशीका हा सकता है, पर लाया जा का क्यो?" मि० शामे जवाब दिया। 'नायर तो मिरा अमिमेता के सिवा कुछ नहीं है। मायेलो बनने के लिये यदि प्राज यह मुंह में काली लगा सकता है तो यदी कल ईमसंट पनमे के लिये मुह में सफेदी मी पोस सकता है। अवसर प्राने पर यह सम्राट भरत मा बन सकता है। उमकी ऐतिहासिक योग्यता प्रापर्यजनक है। केवल प्रजातन्त्रवादी दल बमामे और इसके अधिवेशम परसने से भारत की स्वतम्त्रता पामे में कोई अप्रगति न दागी। उमका काम करना होगा यदि इसके लिये उमको कर सरन पड़े तो सदा तैयार रहना होगा । हम्हें यह सवा न्यान में रमना होगा कि इन ३० वर्ष में बहुत से भारतीय देश भर फांसी पर ल.क सुके है, बहुत से घुल २ कर पण्डमाम में मर चुके या मर रहे हैं, बहुत से मर कैद है, बहुत से पंश मिकाले में अज्ञातवास कर भीषया यम्प्रदाय भोग रहे हैं। तथा बहुतों की मायदादे जस्त हो धुर्की और हजारों कैद मोग के है । यह सब कष्ट स्वतन्त्रता के भादर्श को पाने के पास्ते मले गये है। दमम एवं अत्याचार सहते हुए भी यह कार्य जारी रहा, इसी से भारतीय रायू मारत या सी से भाभारतमें मंजा समावादी जो यह कह सकते है कि गष्ट्रीय कांग्रेस को भारतीय स्वतन्त्रता का प्रोग्राम ध्येप की भाति स्वीकार करना चाहिये। 7 4