पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१५६

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पेश है। इसका उत्तर सर जामसीली के इस भाषण से मिल जाता है- "हाएर वास्तविक अर्थ में भारत पर विजय प्राप्त नहीं की । पविक संयोग यश जो कुछ अंग्रेज मुगल सामाज्य के पसम क समय भारत में रहते थे उनका भाग्य हैदर प्रती या रणजीत सिंह की भांति चमफा और वहां के अधिकार बन बैठे।" इस भारत को आधीन वमाये रखना कठिन है, इस प्रसंग पर साली महाशय कहते हैं- 1 "मर को जो वास्तव में सैनिक राज्य नहीं है सैनिक यक्ति के बल पर २० करोड़ की जनता को वश में रखना पड़े तो कहमा होगा यह भार हमारा मारा कर देगा।" यह एक गम्मीर सत्य है जो एक राजनीविह अंधेज के मुझ से निकल गया है। सरतान सीसी का कहना है कि बिस समप हम अमेरिकम पुर में भारी अयोग्यता दिवा- कार ३० लाख मनुष्यों के प्रदेश से हाथ धो पैठे उसी समय इम क्या भारत में दुर्दममीय विभेता बन सकते । जब विजय प्रारम्भ हुई, तब १ करोड़ पीस मात्र से अधिक अमेजन थे। विजय भी ऐसे समय हुई मन र युरों में कसा था । काय जब मासी और दक्विन में युर कर पा