पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/१९९

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

" 1 Ni ( १८४) फुल वसूल हुई पूजो कोई १ करोड ६० लान पर है और हमारी पूजी २ करोड ६० लाख पौंड भी नहीं है। और इस मे भी अधिकाँश यूरोपियनों की है। हमारे देश के फी सैकडे ८० लोग स्पेती पर घसर करते हैं और कुछ समय से खेती मी धीरे धीरे धर्षाद हो रही है। भारतीय किसान इतने गराय और ऋणी है कि वे खेती की पदायार बढ़ाने के लिये रुपया महीं खर्च कर सकते । जिस का फल यह हुआ है कि भारत के एक बर माग में खेती की-जैसा कि सर जेम्स फेष मे ५२ वर्ष से प्रथम कहा था कि यह भूमि के निर्धीज करने का साधन हो रही है-उपज नियमित रूप से घटती जा रही है और जहां गर्नेर में फी एक्स कोई ३० वुशल माम पंदा होता है यहाँ भारत में प्राय: पुशल होता है।" इम कारणों को देखते यह मुक्त कण्ठ से कहा जा सकता है अंग्रेस सरकार प्रजा को शिक्षा, स्वाथ्य तथा समृशि देने में अयोग्य प्रमाणित हुई है। स्थानिक म्बयस्य की बात देखिये। । लारं मेयोके समय मे (१८५६-७२) अधिकार विभाग के लिये-जिसे कीमने 'होममा' (1) कहा है-कुछ चेष्टा की गई। और'उम की मीति अर्थ-सम्बन्धी अधिकार विभाग की यो । सारं रिपन के समय मी कुछ प्रयल किये गये । ओर सन के प्रयत्न को कोग्ने होमरूल क फाटाणु प्रवेश करमा जान जालना बताया था। + 1 1