पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२००

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1 ममे रहते हैं। -रिपोर्ट ही काफी है। इन सब से अधिक विद्यारसोय विषय एफ रामस्व अनुमान - फरोग, ६१ लाख, ६६ हजार, ६ सौ पार (१५) कौसिलों के सम्बन्ध मे एक सदस्य ने कहा कि घे "ग्लारी -फार टिपेटिंग सोसाइटी" (गोरय-युक्त धावानुवादकारिणी समा) है। भारतीय सदस्यों के प्रस्ताव संशोगम की युतियों की यो दुर्गनि-प्रयोजना-लाममा इन कौसिलो मे होती है, उसे देखते ही मैं यह सोचते सोचते रान होता है कि फसे निलंब थे सवन है जो इतनी दुतकार तिरस्कार पाने पर यहीं पब्लिक सर्विस में भर्तियों के विषय मे रूमोशम को भोर है। यह शासन-व्यय की भषार वृद्धि है । सन् १९१७ का या मोर सर्च ८ करोड, ५५ लान, ७२ हजार १०० पौंड था। पह अंग्रेजी सुगठित शासन को मोतरी दशा है जिस पर गम्मोर विचार करने में प्रत्येक व्यक्ति अच्छी तरह समझ आयगा कि अंग्रेजी शासन भारत के लिये अपस्कर महीं है और मारत का रस से इस दंग से कभी भय न होगा।' सफारी अफमर जिनके हाथ में शासन की पूरी पूरी लगाम है ओर सियार करने तथा मित्य कामों में यपी अम्पाम मे इन हो गया है, उन के दिमाग का यहो ताना-बाना है, यहो उन का धन्धा है । वाधा उन के निम् विधार पुष 3