पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२०७

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. २०० ) कोई धुंभा धार पीये तय मो मत रोको । परन्तु यदि पी-पीकर कोई मसयाला हो जाय तो उसे पकसकर हमारे पास ले पाभो। मानो सरकार को शराय पीमे से मतयाले होनेके अवश्यम्भाषी परिणाम की स्नपर ही महीं है । और मानो सरकार की दृष्टि में शराब पी फर पागल होना कोई प्रास्मिक घटमा है। याद । कैसा सुन्दर शासम है-कैसी सुन्दर व्यवस्था है ! चोर से कहें चोरी कर, साह से कहें पकट लो । पलिहारी! अप लोजिए जुए की वात । इसके अनेक रूप हैं। सदा, ! नीलाम, लाटरी ठेका प्रादि । इस के सम्बन्ध धाले कानून इतने स्यार्थमय और एल पूर्ण है कि ये सम्यता के नाम पर । लाग्छम लगाते हैं। ये प्रजा से नागरिकता के अधिकारों को छीनते हैं। इन सब पद्धतियों को मैं जुभा इस निये कहता। फि वस्तु का निश्चित मूल्य एक महीं रहता। दूसरे घटना था। प्रारब्ध वश ही एक व्यक्ति को यह वस्तु बहुत ही कम रुपये में मिल जाती है और वस्तु का स्वामी उसकी पूरी से अधिक ही । रफम-जिसके लिये कानूम में कोई बम्धन मही:-बहुत से ऐसे लोगों से ले लेता है जिन्होंने प्रारम्घ या घटना-पश ही उस वस्तु के उसी अल्प दाम में मिलने की आशा में यह धारणा करके कि पैसा-जायगा पा माल पायगा, सच किया था। इसरा स्वरूप और भी भयानक है, यह सहा है । यह सट्टा प्रायः सभी लाभकारी वस्तुओं का होता है । इसके फरनेवा के प्राया 1