पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२३२

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जितनी संधिया, जितनी व्यवस्थाए हुई, जिसमे राजनीति -10-- प्रतापी पिटिश सिंह ने अपने शिकार को मार कर यो ही भर साँठगाँठ में बीता है कि पिलायेस से हिन्दुस्तान सक के अल मार्ग और स्पल मार्ग के प्रदेश षद अपमे प्राधीन रफ्ले। और मेपोलियम के युद्ध के बाद से लेकर पाजतक मिसने युख हुए, बारहवां अध्याय भारत पर ब्रिटिश लक्ष्य । माग्न थप ग्रिटिश सिंह का मारा हुमा शिकार है । और पड़ा नहीं छोड़ दिया है। उसका इरादा सघ तरफ से चाक चौबम्द दोफर मिश्चिाताई से उसका स्वादिष्ट माप्त माने का था । और मारे हुए शिकार पर फोह पेरागैरा दास न गदा यैठे, इसका इस मनुष्य सिंह ने मनुष्य ही की तरह उन्नीसवीं शताब्दी का पूरा १०० घपका लम्बा समय इसी शिव बुद्धिमानी से इन्तज़ाम किया है मोर कूटनीति के फन्ले फसाये गये, सब भारत को ही सस्य करके किये गये। > मेपोलियन के साथ भूमध्य सागर, मिभ और सीरिया में गुर किये गये थे भारत के हो लिये थे। थायमा को कांग्रेस 1 be