पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२३६

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1 लिया गया था और उसकी कुछ वृत्ति उसे मिलती थी । सन् ( २२६) यासी जंगली जातियों को दएर देने के लिये सेनाए. मेजो माती यों, और इस प्रकार नया पेश अधिकृत किया माता था, यह काम तब तक जारी रहा जब तक कि पहाड़ों की ठठ ' सीमाए भारत सरकार के हाथ में नहीं प्रागयीं। । अब भारत की सीमाओं पर तोम स्वतन्त्र राज्य रह गये हैं। मपात भूटान और अफगानिस्तान, पर इमझी स्वाधीनता नाम की है। तीनों के हाथ पैर कस फर बंध रह है। सौ वर्ष से मैपान में अंग्रेज रेजिदेम्ट रहता है। और हमारो गोरो माहे पर अंग्रेजों के लिये जाम झांकते हैं। भूटान और अफ गानिस्ताम को षष्टी २ रकमेवरावर इसीलिये मिजतो रखती हैं कि ये अंग्रेजों की इच्छानुसार काम करें। तिध्वस में एक पार झगड़ा होने से उस के कुछ जिलों में अंग्रेजों ने अपना हाकिम मियत कर दिया था। यह जिला तब से अनजों के पाप दादे का हुमा । भूटान का कुछ अंश षंगाल में मिला २०१० १० में बसने परराष्ट्रीय सम्बाध अननों को सौप कर इति दूनी करा ली। यह कहा जासकता है कि भारत मे शीम हो कोई मारी राजनैतिक परिवर्तन न हुआ तो नेपाल प्रीर मूटान पाम नहीं तो कल अंग्रेजी पज्यमे मिक्षा लिये जायेंगे। अफगानिस्तान, तिम्मत और फारिस इन तीनों को अंग्रेज हिन्दुस्तान की राम समझते हैं। 1 ! 1