पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२५७

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( २५० ) हैं। ये कारण अमर है । श्रार्यों के बच्चे इन्हें भूले नहीं है। भूल भी नहीं सकते, इनके लिये सदा लड़े है और आगे सटेंगे। तुम गदर के उन अत्याचारों का पद २ कर सदा साने के शब्दों मे जिक्र करते हो जो सुम्हारो कुछ स्त्री बन्नौ पर निर्दयता पूर्वक नाना साहेय ने दिये थ । वास्तव मे वे मिन्द- भोय ये । घुरो घात हमेशा बुरो है । परन्तु विद्रोह तो विद्रोह होता ही है-क्या तुम्हें अन्यत्र ऐसा नहीं सहना पहा? फिर तुमने गदर के बाद में तिगुमे क्रोध और छप से भारत मे इत्या-कापड मनाया था। ये तो बलवानोर लुच्चे थे-पर सुम तो राजा और पुसिमाम थे। तुमने अभय पान देने के पीछे पैर को आग में अम्धे होकर सैफनो मनुष्यों को पुती मे फाँसी पर लटका दिया। किसनों को तोप के आगे धनियाँ सरावी और उनके शरीर के टुकड़े करके कुत्तों सो मिला दिया। पति के मारे जाने पर अमाय स्त्रियों पर कुछ मी सरस न लाकर 'तुममे समके घरों को लूट लिया, तोप से उसा दिया-या भाग लगा दो। हजारों स्त्रियाँ भूखी मर गई हजारौ युवतियों ने पत। पोई, हजारों मर्द रास्ते में ककलो फी वह ठुकरा कर घून मे मिक्षा दिये गये। कितने महल देवालय जमींदोज करा दिये गये, एणक्षेत्र में मेरते हुए। घायलों की छाती में पानी २ पुकारले पर तुम्हारे उजड़ गोरोंने संगीन झोक दी1 दोषो निदोषी कवत किया गया । शरणागत शाहजादे तोप के 1 ।