पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२५६

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देकर मैदान में माना । मोटिस्टेंट और कैथोलिकों के सदियोके एक साथ अहसाना, प्राचीमटनी पीर प्रीस का पुनामीवित कर घूममा । मांस और जर्मनी का साधाप्ण बात पर सह लिये महीं, राम, मम, दुर्योधन, अलेकर, सोगर पालियन, पियारस हार्मिषाल, सीथियो, सिपोनिस, पोरस स्पा परीके टकरे के लिये परती को कम्पायमान करके शामों स्पेड़ों प्राणियों के लोह से धरती को लाल करगये हैं। नहीं। ममें और भी गम्मीर प्रश्न राज्य सत्ता, नीति, धर्म प्क्षण, सातन्त्र, प्रथा के अधिकार रक्षण,धर्मरक्षणमादिसके कारण २४६ तुम यहा समझते हा कि हिन्दुस्तानियों को किसी न किसी तरह फटे पुराने वस्त्र और रूनी सूखा पेटिया मिझो जाती है अब उन्हें और किसी बात की ज़रूरत ही नहीं है। पर माइपो। पवन येटी के लिये लाखों पुरुष नहीं कटाये जाया करते हैं ! गएरव कौरष युय, प्रीक और ईपनियों के युस, रोमन महा- सभ्य की पृथ्वी विजय, पोरोप के अंगलियों का दक्षिण में प्रामा, भरखो का अंगलों में भटकना जेरुसलम की दीवारों पर फू उरसका धावा बोलमा । मुहम्मद का मंगो तलवार सूनी मगई, झांस के प्रजातन्त्र के सामने समस्त योरुप का परमा, उस और तुर्क का धर्मके बहाने लड़ पड़ना,और तुम्हारा घदेशमै सबके सिरेपर लोहा परसा कर अधर्मका रक्त बहाना, इसब किसलिये क्या एक टुकड़ा रोटीके लिपे ? या मंगटफने 1 1