पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२६१

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1 चौदहवां अध्याय। एशिया की बेचैनी। भारत के सिषा, भूमध्य सागर में अरव के पछिम सा 'भस टापू से लेकर चीन के पूर्वी बम्दर घेईई धेई तक एशिया महाद्वीप के दक्षिणार्ध में जितने टापू, प्रापा दीप, बन्दर और दूसरे युद्धोपयोगी स्थान हैं, उन सब पर भाज प्रतापी यूनियन मरा फहरा रहा है । नफया देखने से पता जग आपमा कि समुद्री मार्गों पर जिन २ स्यामों से अधिकार किया जा सकता है। उन सभी स्थानों पर अंग्रेजों का कमा है। अंग्रेजों के पास पदि सब से वरी शक्तिशालिनी जल सेना न हो तो दक्षिणी ऐशिया पर इनका अधिकार रखमा कठिन हो जाय। पर अभी तक इसे समुद्रों पर प्रमोघ अधिकार प्राप्त है, और यूरोप अमेरिका, और ऐशिया के पष्ट्रों को उस से समुद्रीय प्रश्नों पर मुकना ही परता है। इस एकाधिकार के काप उसे बेहिसार आर्थिक और म्यापारिक-पम हैं।