पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२७०

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परमपमा प्रमाय एसमा भावश्यक सममता राइनदोनी (२६१) पेरिस को शान्ति समा में एक बार फारस कमन्त्री ने "हम लोग भी शशित और पम्प हैं, क्या इमारी स्वाधी मता में मोनिटम और इस बाधक है इस में झांस का पूरा दोष या अपने साथियों के काम के लिये हमारा पूरा नाश पेशवा हा है। फ्रांस ने जिस प्रकार पोखेएर को सस के सुपुर्द कर दिया था। प्रम झांस हमारे देश से तमो नाम ठा सकता है मय यह हमें पूर्ण रूप से स्वतन्त्रमा दे। साय । पीभव हम लोग क्षगर का मी पावर और विश्वास उसी समय करेंगे-अव यह हमारे सम्बन्ध में अपनो पुपमो मीति परमालेगा।" गत ५० वर्षों से पोरोपियन शकिया पेशिया पर अपना अमुस्व जमाने के लिये फारस मे लड़ रही हैं। और अपने मार्य के लिए ससको स्वतन्त्रता एवं सम्यता का मारा किया थापा है। वह वीसवीं शताब्दि मे भी पोयेप की शक्तियों भारा बन पूर्यफ सब प्रकार की उन्नतियों से वंचित किया जा या है। कैस्पियन सागर के दोनों ओर मस हे फारस को वाया और ट्राम्स काशेशियस मात मिस मे स सारकी सब माछो तेन को शामें उसने युद्ध में घाम ली। परम्पर भारत के मार्ग में फारत के दोने से उस