पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२७७

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( २६६ ), . खास अधिकार मिल गये । जर्ममी फ्रांस और प्रेटनिटेन मे मो अपमा २काम बना सिया,अब इटली ने भी पैर फैलाये। चीन बहुत कुछ सह चुका था-इटली से उसने साफ इन्कार कर दिया,अन्य शक्तियों ने भी हटनाको दुराया सन्से सफ इसी प्रकारवरी धान मपी होती रही। अन्त में चीन और जापान स्वाधीन हुए। कुछ चीनी युधफ पाश्चात्य शिक्षा प्राप्त फरफे और जापान के श्रादर्श को देख फर संगठित हुए। और शिक्षा प्रचार, राष्ट्रोप भाव को उदय और मम्घृ राज्य का अन्त करने में लग गये। राज पक्ष वाले भी विदेशियों से घृणा करते थे । परातु घे काति म करना चाहते थे ।इन्हों मे धर्मान्धता और अबानसा से लाभ उठा कर उन में विदेशियों के प्रविणा माय मर दिये। धीरे २ गुप्त पदयन्त्र मोर विद्रोह खड़ा हो गया। बाक्सर विद्राह के नाम से प्रसिद्ध पोपको सम्मि- लिस शक्ति का सेमा पमिरल सेंमर का प्राधीमता में पेरिस पहुँची और अन्त में 'पीकन का पतन हुभा। परन्तु योरोपोय प्रकियों के अत्याचार से संगण मण्टन ने प्रजातन्त्र की स्थापना की होने सेमिक शिक्षा की ओर ध्यान दिया। इस के सिषा शासन, अर्थ धिमांग, शिक्षा और समाज सुधार में भो हाथ लगा दिया गया। अफोम से पिपर के प्रो