पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२७८

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मेसद पपेशी राष्ट्रों के साथ किये हुए अन्यायी सुखाहना । २६४ ) यदि अमेरिका के लिए यह यात ठोफ है कि यहां के लोग पोग्य हो या अयोग्य, पर ये अपना संय काम आप ही सम्हाने मौर दूसरा कोई उनके काम में हस्ताक्षेप म करे तो योपेप ऐशिया, और अफ्रीका के लिये भी यही यात बिल्कुल ठीक है। संसार पेसा विस्तृत महीं है कि उस में ऐसी बातों के सम्बन्ध मे दो मोतियों की गुंजाइश हो सके। राष्ट्रपति विल्सन ने युद्ध के बाद कहा था कि ममपे का सिदाम्त संसार भर में प्रचलित कर दिया जाय । सब लोग सुख से अपने देश में हें। कोई किसी के देश में माक्रमण करमे न जाय । पर पोरुप पाले मन मानी करमा भाहते थे और ऐशिया को दवाये रखना उनके लिये मावस्यक पा-फलतः विल्सन का प्रयल विफल प्रा। परन्तु पेशिया अप मामत हो गया है और यह प्रोम के मार से अपने को सर्पया मुक्त करना चाहता है। वा० २८ नयंवर सन् १४२४० के दिन सन् यात्म में योकोहामा शहर में एशिया का एकी कप्पा' मामक विषय पर एक भाषण दिया था। वह भापण नीचे दियाशावा है। "वास्तव में एशियां करके पुनर जीवन का प्रारंभ, मापान अमिले में मिला दिया, तब से हुमा । रस समय से बापान