पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२९३

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( ७८ ) मनुष्य पक्ष मे युरोप और एशिया की संख्या इस प्रकार है:- हिन्द ३०॥ फ्रोह, मोम ४० कोड़, सयाम, प्रयाम और अग्नेय दिशा के घम्स, जापान 'और अन्यान्य देशों की सख्या अनेकों फोड़ दोगी। हम एशिया में के लोगों की जन संख्या ससार की जन सख्या से आधी जम सख्या है । युरोप केवल ४० फोड़ को आबादी का खर है। परन्तु एशिया को आषादी है ० काम1 ४० कोट की जन संख्या, ६० फोट बहुसंख्यों को श्रीर राले, यह म्याय और मनुष्यत्व के विपरोस है । जो २ ग्याय और मनुष्यस्व के विरुद्ध होता है उस की अन्त मे हार ही होती है । समाग्य से युरोप में के कुछ लोग उस ध्येय के वशीभूत नहीं हुए हैं और वे इसी ध्येय का पुरस्कार करते रहते हैं। इस समय युरोप में एक नया ही राष्ट्र निर्माण हुआ है। उस राष्ट्र का, श्वेत सर्प की सरद, समूचे पोरोप ने बहिष्कार कर गाला है। एशिया के कुछ राष्ट्रों ने भी उसो वृचि का अंगीकार किया है। वह राष्ट है स । सस अपमे गोरे भाइयों से फटमना नहीं चाहता । काण? रुस का विश्वास उपयु- रुता और अबरदस्ती पर नहीं है किन्तु उस को विश्वास है परोपकार एवं पुण्य पर 1 रुस ।याय का पुरस्कार करता है। इसी से उसमे एशिया के साथ अपना सम्बन्ध जोद लिया है। युरोपियनों को भयः किसस जन भये शत्यो को सफर