पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/२९४

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माशकारी सममाने से इन्कार करें तो पह उमका ही अपराध होगा, क्योकि मविष्य में उन्द इन रमीम जातियों के मीपण (२४) वो नहीं कर सेगा सा म प स का निषेध करते हैं मोर उस बलपाई करते हैं। दम पशिया मंट के कोकण विषय पर घोल ६ ti परन्तु पोरापियनों के द्वारा किट सहन करने वाले हम, उन का प्रतिकार क्या कर सकेंगे । अयषा जिन पर जुल्म एमाघेसे लोगो फो, जुल्म गारों से किस प्रकार मुक्त कर सकेंगे । मारे जैसे सताय हुए लोग केवल एशिया में ही नदों परन्तु योरोप के केन्द्र स्थानों में भी है। बहुत से मांगों को यमन समाज के दुम घिमोधमार्य किया जाने वाला प्राम्दोलन, सुधारों के विषय गदर मासूम होता है। मो सुपार अस्पानगरीका यिष्यत करेंगे, उन्हीं का हम लोग पुरस्कार करेंगे। ' जरमनी के भूतपूर्व सर विलियम मे एफ लम्स में लिखा था:- "किरगीन मासियों की स्थापोनसा का समाम शोरो से भारी है। यदि गोराशासफासिस भाग्दोलम को अपने लिये समर्ष का सामना करने के लिये वाध्य होना पड़ेगा। यह पात कोर्य करपमा ही नहीं है ! ससार के किसी भी माग पर रिपात कीजिये, सभी जगह या तो संघर्ष जारी है, अथवा बोर ही जारी होने वाला चाहे चोन को मोर देखिये 11 1