पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/३१४

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

जापान मोर सर दोनों में 'सलिये घनिष्ठता हो रहा है (pas) other ran om f7F क्योंकि दोनों को धान में अपने प्राने स्याथा और सुविधामा के लिये मय हो रहा है । चान यदि यस्तुत स्वतन्त्र हा गया का और उसफा नेतृत्व प्रमाविया मोर किसानों के हाथ रहा तो 10 चाम में साम्राज्यझोलुप किया का मानन प्यतर में पर जायगा। लेक्मि मायरिया पार अंग्रजों क म्यापीया यह 'स योग अरुयाया पार क्षणिक है। लस पार जापान के पैसिफिक ( प्रशान्त महा सागर के मुख्य स्पा एक 'सर' क बिस्म है और इस महासागर में युद्ध छिटने के समय जा पान गलएड का सदायता का प्राशा नहीं कर सकता। इसी तक के आधार पर मा० धारासिन अन्त में इस परियाम पर पहुँचते है कि जापान ऐसा अवस्था में कोई ऐसा काम नहीं कर सकता जितम साविट कम के साया उसका मिमित सम्बन्ध है उसमें किस प्रकार शणतरा उपस्थित होन का सम्माषमा हो। अमीर की यात्रा। अफगानिस्तान के बादशाह प्रमानुभाम्ना अपनी लम्यो यात्रा में पश्चिम के देशों की पा रामभाना में मुसरी राज म पे जाते रहे तास ही उनका सपा उनकी ऐसा स्वागत पुमा जैसा भारा से भाग फुच दी 'पप' पदने सक stolen motoren erst करना । i 1 )