पृष्ठ:२१ बनाम ३०.djvu/३१५

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2 ( २४६ ) योन युद्ध लिने की सम्भावना है यद्यपि वह युर कदाचिर निकट भविष्य में मडेगा । उनका भविष्य पंथन है कि आ पान आक्रमण भाय अंगीकार करके शॉटु ग, निहली बार मधु रिया में अधिकार-विस्तार करेगा, अगर अमरिफा घुप चाप उसे देवता न रहेगा । अगर अमेरिका युद्ध नहीं छेड़ता ता वह अन्य प्रकार के उपाय से काम नंगा जैसे धार्थिफ दयाय और चोग कैरोक को जापाम विरोध नाति में सहायता दमा आदि । इन सब बातों से दोनों साम्राज्यवादो राज्यों के सम्म ग्ध फटु हो रह है जिस से दानों के वाच श्रागे चल पर युध छिड़ेगा। चान आपाम अपमे घसांच से स्पष्ट प्रकट कर रहा है कि वह अति करने यहाँ तक कि अमेरिका से युद्ध करम तक को तैयार है। जापान, ब्रिटेन और रूस मागे चल कर म० याराप्टिन ब्रिटन के जापान के प्रति भाय की आलोचना करते हुए इस बात पर विशेष ओर धत हैं फि कनारा श्रार प्रास्ट्रलिया के भाव जापान क अत्यन्त यि रुर है। इस फायण से मुझ द निश्चय है कि अंग्रेजो और जापान के पाच फिर किसी प्रकार की मित्रता की साध नहींहो सकता । मन ही घान में स्थिति को यश्यकतायशे-जापान भार ब्रिटेन की मातियो में अधिक चनिष्टता क्या न पैदा हो जाय । इस मिपय पर मो० यागनिलिभते कि इस समय . + + 1